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अफगान के 252 जिलों पर तालिबान का कब्जा, भारतीय वाणिज्य दूतावासों को किया बंद

तालिबान के प्रवक्ता ने पूरी दुनिया को यह भरोसा दिलाया है कि उसके लड़ाके किसी भी दूतावास और देश में मौजूद राजदूतों को निशाना नहीं बनाएंगे। तालिबानी लड़काे काबुल से कुछ किलोमीटर की दूरी पर रह गए हैं। अफगानिस्तान में तालिबान का हमला बढ़ता रहा है। इसी बीच खबर मिली है कि तालिबान ने सुरक्षा कारणों से कंधार और हेरात में भारतीय वाणिज्य दूतावासों को बंद कर दिया है।

सूत्रों ने कहा कि भारतीय वाणिज्य दूतावासों के किराए के परिसर को सुरक्षा कारणों का दावा करते हुए तालिबानियों द्वारा बंद कर दिया गया है। तालिबान ने कंधार शहर पर कब्जा करने के बाद, कंधार में भारत के किराए के वाणिज्य दूतावास परिसर पर ताला लगा दिया। तालिबान ने कहा कि यह सुरक्षा उपाय के रूप में किया जा रहा है और यहां एक जिम्मेदार व्यक्ति (भारतीय) के आने पर खोला जाएगा। इसी तरह, हेरात में भी भारतीय वाणिज्य दूतावास परिसर के मालिक को तालिबान की ओर से चाबियों के साथ इमारत में आने का फोन आया।

देश में अब सिर्फ 82 जिले अफगानिस्तान सरकार के अधीन हैं, जबकि 252 जिले तालिबान के नियंत्रण में हैं और 92 की स्थिति विवादित है। अफगान सरकार ने दावा किया है कि पिछले 24 घंटे में, जिसमें तालिबान ने पाकिस्तान के पक्तिका प्रांत और खैबर पख्तूनख्वा के बीच अंगूर अड्डा सीमा पार कर लिया है। नंगरहार, लोगर, मैदान वर्दक, कंधार और बल्ख प्रांत में अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बल (ANDSF) द्वारा चलाए गए ऑपरेशन में 172 तालिबानी मारे गए और 107 घायल हो गए हैं।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबानी लड़ाके अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से अब सिर्फ 11 किलोमीटर दूर रह गए हैं। पिछले कुछ दिनों में ही इन लड़ाकों ने अफगानिस्तान के उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों पर कब्जा जमा लिया है। अब उनके निशाने पर राजधानी काबुल ही है।

हेरात, कंधार, हेलमंद के बाद अब तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के दक्षिण में स्थित लोगार प्रांत पर कब्जा कर लिया है। अफगानिस्तान के एक सांसद होमा अहमदी ने कहा कि तालिबान ने पूरे प्रांत पर कब्जा कर लिया है, जिसमें उसकी राजधानी भी शामिल है और वह शनिवार को पड़ोसी काबुल प्रांत के एक जिले में पहुंच गया।

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अब जबकि तालिबान देश की राजधानी से सिर्फ कुछ किलोमीटर दूर रह गया है तब काबुल में कई लोग सड़क पर खुले आसमान के नीचे रातें गुजारते हुए डरे हुए हैं। सेव द चिल्ड्रन के मुताबिक, घरों से भागकर काबुल में शरण लेने वालों में 72,000 बच्चे भी शामिल हैं। शरणार्थियों के पास रोटी और बच्चों की दवाई के लिए पैसे तक नहीं बचे हैं। तालिबान के कब्जाए शहरों में इन शरणार्थियों के घर जला दिए गए हैं। अब लोगों में इस बात की भी दहशत है कि अगले कुछ घंटों में उनके साथ क्या होने वाला है कोई नहीं जानता। संयुक्त राष्ट्र ने पड़ोसी देशों से उनकी सीमाएं खुली रखने का आग्रह किया है।

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