पाकिस्तानी पीएम इमरान खान पूरी दुनिया में तालिबान के शुभचिन्तक बनते फिर रहे है। लेकिन तालिबानी निजाम ने उनसे बेगानों सा बर्ताव शुरू कर दिया है।
तालिबान के सोशल मीडिया चीफ जनरल मुबीन ने सख्त लहजे में इमरान खान को अफगानिस्तान के मामलों में दखल न देने की हिदायत दी है। उन्होंने अपने बयान में इमरान को कठपुतली तक कह डाला है, जो खुद भी पाकिस्तानी अवाम द्वारा नहीं चुना गया।
दरअसल, एक दिन पहले इमरान ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में तालिबानी नेताओं को चेताया था कि अगर देश में समावेशी सरकार नहीं बनी तो वहां गृहयुद्ध होगा और देश जल्द ही आतंकियों के लिए जन्नत बन जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया चीफ जनरल मुबीन ने कहा कि इमरान खान को हमारे देश के मामलों में दखल देने का हक नहीं है। अगर वह ऐसा करते हैं तो हमें भी उनके देश में दखल देने का हक मिल जाएगा। वहीं, तालिबानी प्रवक्ता और उप-सूचना मंत्री जबीउल्लाह मुजाहिदन ने कहा कि पाकिस्तान या किसी अन्य देश को हमारे मामलों में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं है।
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एक अन्य तालिबानी लीडर मोहम्मद मोबीन ने भी अफगानिस्तान के एरियाना टीवी पर डिबेट के दौरान कहा था कि क्या समावेशी सरकार का ये मतलब है कि हमारे पड़ोसी देशों के प्रतिनिधि और जासूस हमारे देश और सिस्टम के अंदर मौजूद रहेंगे? उनके बयान के बाद से ही ऐसा माना जा रहा है कि तालिबान ऐसी किसी सरकार के समर्थन में नहीं हैं, जिसमें दूसरे समुदाय के प्रतिनिधि भी शामिल हों।
इससे पहले पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा था कि उसे अफगानिस्तान की जमीनी हकीकत समझनी चाहिए। जब वहां तालिबान की सरकार बन गई है और बगैर किसी खून-खराबे के सत्ता परिवर्तन हो गया है, तो इस सच्चाई से कब तक मुंह मोड़ा जा सकता है। पाकिस्तान ने तमाम देशों को प्रस्ताव दिया है कि अफगान तालिबान को कूटनीतिक मान्यता दिलवाने के लिए कोई न कोई ठोस रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए।