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तमिलनाडु विधानसभा चुनाव : कांग्रेस, द्रमुक ने सीट बंटवारे को दिया अंतिम रूप

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव

चेन्नई। कांग्रेस और द्रमुक ने रविवार को तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे डील को अंतिम रूप दिया है। द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन और तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी (टीएनसीसी) के अध्यक्ष केएस अलागिरी के बीच सीट बंटवारे के डील पर हस्ताक्षर किए गए है। कांग्रेस को कुल 25 सीटें मिलेंगी। पार्टी कन्याकुमारी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेगी, जहां एच. वसंतकुमार की मृत्यु के बाद उप-चुनाव होगा।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता पोन राधाकृष्णन इस सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। 2019 के आम चुनावों में वसंतकुमार ने राधाकृष्णन को 3 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया था। कांग्रेस 45 सीटें चाहती थी, लेकिन द्रमुक अधिकतम 21 की पेशकश करने के लिए अडिग थी। कांग्रेस में उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी द्वारा एमके स्टालिन को देर रात कॉल ने सौदे को आगे बढ़ाने में योगदान दिया, जिसमें कांग्रेस को 25 विधानसभा सीटें और संभावित राज्यसभा सीट मिली।

द्रमुक के न-नुकुर करने के बाद कांग्रेस तीसरे मोर्चे की पहल के लिए कमल हासन की मक्कल नीधि माईम (एमएनएम) से सीधी बातचीत कर रही है। एआईसीसी के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा कि हम निश्चित थे कि कांग्रेस-द्रमुक सीट बंटवारा आसानी से समाप्त हो जाएगा क्योंकि हम पिछले कई वर्षों से एक राजनीतिक गठबंधन में हैं।

हालांकि, द्रमुक के दूसरे प्रमुख नेता इस सौदे से खुश नहीं हैं। चेन्नई (दक्षिण) के द्रमुक सचिव एमके स्वामीनाथन ने कहा कि कांग्रेस की तमिलनाडु में कोई जमीनी उपस्थिति नहीं है और 25 सीटें प्रदान करना बहुत अधिक है। हालांकि द्रमुक नेतृत्व ने एक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन के हित के लिए ऐसा किया है।

इस बीच टीएनसीसी के अध्यक्ष अलागिरी ने बताया कि कांग्रेस और द्रमुक के बीच सीट बंटवारा आसानी से संपन्न हो गया है। हम पुराने सहयोगी हैं और हमने मामला सुलझा लिया है। बेशक सीट बंटवारे के दौरान कुछ मुद्दे होंगे और इससे ज्यादा कुछ नहीं था। कांग्रेस और द्रमुक के बीच मतभेद की बातें पूरी तरह से गलत हैं।

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