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ITR फाइल करते समय झूठ बोलना पड़ेगा भारी, हो सकती है जेल

ITR

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अखबार पढ़कर राहुल के हाथ से मानो तोते ही उड़ गए। खबर यह थी कि जो लोग किराए की फर्जी रसीद लगाकर एचआरए (HRA) क्लेम करते हैं अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उनको नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा है। राहुल तो इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने के बाद रिफंड का इंतजार कर रहे थे लेकिन ये क्या रिफंड तो दूर यहां तो टैक्स के नोटिस की खबर छप गई। राहुल बीते कई वर्षों से अपने पिताजी के नाम से किराए की रसीद बनाकर एचआरए क्लेम कर रहे थे।

अब सबसे पहले ये समझिए राहुल या उनके जैसे लोग ऐसा करते क्यों हैं? दरअसल नौकरीपेशा लोगों की सैलरी में एक हिस्सा एचआरए का होता है। यह बेसिक सैलरी के अधिकतम 40 फीसद तक हो सकता है। किराए की रसीद लगा दीजिए तो ये एचआरए टैक्सेबल इनकम यानी कर योग्य आय में नहीं जुड़ता है। औऱ टैक्स बच जाता है। उदाहरण से समझना है तो ऐसे समझिए कि राहुल 8500 रुपए महीने यानी सालाना 1,02,000 रुपए किराया दिखाते थे। किराए की इस रकम पर वो हाउस रेंट अलाउंस (HRA) क्लेम करते हैं। ऐसा नहीं करते तो 30 फीसदी के टैक्स ब्रैकेट में आने पर उन्हें करीब 30600 रुपए का टैक्स देना पड़ता।

क्या है नियम?

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सैलरीड लोगों को नोटिस भेजा है। ये नोटिस माता-पिता, भाई-बहन जैसे करीबी रिश्तेदारों के नाम से किराए की फर्जी रसीद बनाकर डिडक्शन क्लेम करने वालों और होम लोन के ब्याज पर डबल डिडक्शन लेने वालों को जारी हुए हैं। एग्जेम्प्शन क्लेम करने के सबूत के तौर पर दस्तावेज देने के लिए कहा गया है। इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 10 (13A) के तहत नौकरीपेशा व्यक्ति हाउस रेंट अलाउंस (HRA) पर टैक्स छूट ले सकता है। इसके लिए जरूरी है कि व्यक्ति जिस मकान में रह रहा हो उसका किराया भर रहा हो और कंपनी से उसे HRA मिलता हो।

कैसे गड़बड़ी करते हैं लोग?

टैक्स जानकार बताते हैं कि जिनके पास अपना घर है और उसमें वे रहते हैं, वैसे लोग भी कंपनी यानी नियोक्ता को रेंट की फर्जी रसीद देकर HRA क्लेम कर लेते हैं। इसके अलावा, साल में 1 लाख से ज्यादा किराया देने पर मकान मालिक का पैन नंबर देना होता है। ऐसे मामलों में लोग कोई ऐसा परिचित व्यक्ति खोजते हैं जो ITR नहीं भरता हो और उसका पैन नंबर लगा देते हैं। फर्जी दस्तावेजों के सहारे टैक्स बचाने के इस खेल पर अब शिकंजा कसा गया है।

कैसे पकड़ी जा रही गड़बड़ी?

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स चोरी पकड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा माइनिंग का इस्तेमाल कर रहा है। विभिन्न सोर्स से जुटाए गए डेटा को ITR में दी गई डिटेल्स से मैच किया जा रहा है। ऐसे में अगर किसी शख्स ने टैक्स छूट के लिए किराए की रसीद लगाई है या मकान मालिक का पैन नंबर दिया है, लेकिन मकान मालिक ने अपने रिटर्न में किराए से आमदनी को नहीं दिखाया है तो यह मामला तुरंत पकड़ में आ जाएगा।

कैसे होता है फर्जीवाड़ा?

फर्जी HRA के अलावा, होम लोन के ब्याज पर डबल डिडक्शन को लेकर भी नोटिस भेजे गए हैं। आयकर विभाग ने पाया है कि कई लोग सेक्शन 24 के तहत होम लोन के ब्याज पर सालाना दो लाख रुपए तक का डिडक्शन क्लेम करते हैं। वहीं, मकान बेचने पर इंटरेस्ट कॉस्ट को कॉस्ट ऑफ पर्चेज में दिखाकर चैप्टर VI A के तहत डिडक्शन लेते है। इससे प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ जाती है और टैक्स कम हो जाता है। इस तरह होम लोन के ब्याज पर दो बार डिडक्शन लिया जा रहा है। इसके अलावा, चंदे की फर्जी रसीद के सहारे टैक्स चोरी पर भी इनकम टैक्स की नजर है। ऐसा करने वालों को विभाग ने हाल ही में नोटिस भेजे थे।

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इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 133(6) के तहत इनकम टैक्स अधिकारी किसी लेनदेन के बारे में जानकारी मांग सकते हैं। गड़बड़ी पाए जाने पर टैक्स भरने को कह सकते हैं। टैक्स चोरी की पुष्टि होने पर जुर्माना और जेल हो सकती है। यही नहीं, नौकरी भी जा सकती है क्योंकि कई कंपनियां मुकदमे को सीरियसली लेती हैं। माता-पिता को किराया देने पर आप HRA क्लेम कर सकते हैं, लेकिन आपके पास किराए के पक्के सबूत होने चाहिए। अगर आप फर्जी बिल या रसीद के सहारे टैक्स बचा रहे हैं तो संभल जाइए वरना अगला नंबर आपका हो सकता है।

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