Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

समाज को धारण करने का साधन हैं मंदिर : मोहन भागवत

Mohan Bhagwat

Mohan Bhagwat

मुंबई। RSS के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि मंदिरों के माध्यम से राष्ट्रदेवता का दर्शन होता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक गतिविधि के लिए मंदिर सामाजिक जीवन का केंद्र हैं लेकिन इससे पहले मंदिरों की महिमा को छिपाया गया।

मुंबई के दादर स्थित सावरकर स्मारक में सोमवार को दीपा मांडलिक की ओर से लिखी गई पुस्तक ‘माइटी हिंदू किंग्स टेंपल’ का लोकार्पण सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर डॉ. भागवत ने कहा कि मंदिर देश की अर्थव्यवस्था, कृषि, व्यापार आदि के साथ-साथ स्कूल चलाते हैं।

इसलिए शक्तिशाली राजा भव्य मंदिरों का निर्माण करते थे। हालांकि, उन्होंने मंदिरों पर नियंत्रण नहीं रखा, लेकिन उन्हें समुदाय को दे दिया।

‘हिंदुस्तान हिन्दू राष्ट्र है’ के उच्चारण के पीछे कोई राजनीतिक व सत्ता केंद्रित संकल्पना नहीं : मोहन भागवत

सरसंघचालक ने कहा कि मंदिर समाज को धारण करने का साधन हैं, मंदिरों को देखने से किसी के कौशल की महिमा का पता चलता है। इसलिए तिरुवनंतपुरम, कालाहस्ती, सोमनाथ, आदि मंदिरों के इतिहास को जानबूझकर हमसे छुपाया गया। डॉ. भागवत ने यहां के मंदिरों की विशेषताओं का उल्लेख किया।

आरएसएस 130 करोड़ भारतीयों को हिंदू मानता है : मोहन भागवत

उन्होंने कहा कि दीपा मांडलिक द्वारा लिखित पुस्तक दर्शाती है कि किसी को मंदिरों को कैसे देखना चाहिए। इस अवसर पर ‘माइटी हिंदू किंग्स टेंपल्स’ पुस्तक की लेखिका दीपा मांडलिक, पुरातत्वविद् और मूर्तिकार डॉ. सरकार बीएन. देगलूरकर, राजेंद्र प्रकाशन की निदेशक नीलिमा कुलकर्णी उपस्थित थीं।

Exit mobile version