नई दिल्ली। दक्षिण चीन सागर को लेकर अमेरिका और चीन अपने रुख पर अड़े हुए हैं। अमेरिका ने जहां दो टूक कहा है कि वह इस क्षेत्र में एक इंच भी नहीं छोड़ेगा। तो वहीं चीन ने कहा है कि अमेरिका सैनिकों की जान खतरे में डाल रहा है।
अमेरिका का चीन के साथ बढ़ते टकराव के बीच सैन्य तनाव पर रुख एकदम साफ है तो चीन भी नरम पड़ने के मूड में नहीं है। तो वहीं अमेरिका के डिफेंस विंग चीफ ने साफ-साफ कहा है कि प्रशांत महासागर में अमेरिका एक इंच भी पीछे नहीं हटेगा। वहीं, चीन भी चुप नहीं बैठा है और उसने कह दिया है कि अमेरिका सैनिकों की जान खतरे में डाल रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार से लेकर मानवाधिकार उल्लंघन और सबसे ज्यादा दक्षिण चीन सागर पर बने तनावपूर्ण हालात के बीच ऐसी बयानबाजी पर दोनों ही एक-दूसरे पर उकसाने का आरोप भी लगा रहे हैं।
वॉशिंगटन ने बुधवार को दक्षिण चीन सागर में निर्माणकार्य और सैन्य कार्रवाई में लगीं चीन की 24 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। हवाई में अमेरिका के रक्षा सचिव मार्क एस्पर ने कहा है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी आक्रामक सैन्य आधुनिकीकरण प्रोग्राम की मदद से दुनियाभर में ताकत स्थापित करना चाहती है। इसके तहत से PLA (पीपल्स लिबरेशन पार्टी) दक्षिण और पूर्व चीन सागर में और जहां ही सरकार को जरूरत लग रही है, वहां आक्रामक रवैया अपना रही है।
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इस युद्धाभ्यास में 10 देशों- ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनई, कनाडा, फ्रांस, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, फिलीपीन्स, सिंगापुर और अमेरिका- के 20 महाविनाशक युद्धपोत और सबमरीन हिस्सा ले रहे हैं। यह युद्धाभ्यास ऐसे समय पर होने जा रहा है जब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों के साथ चीन का तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दादागिरी को रोकने के लिए अपने एयरक्राफ्ट कैरियर को तैनात किया है और युद्धाभ्यास भी कर रहा है।
आमतौर पर रिमपैक में 30 देशों के 50 युद्धपोत-सबमरीन, 200 फाइटर जेट और 25 हजार जवान हिस्सा लेते रहे हैं। हालांकि, कोरोना संकट की वजह से इस बार केवल 5300 जवान ही हिस्सा ले रहे हैं। करीब 14 दिन तक क्वारंटाइन रहने के बाद ही इस अभ्यास में सैनिकों हिस्सा लेने दिया जा रहा है। कोरोना के चलते ही इसे इस बार जून-जुलाई में करने की जगह अगस्त के महीने में किया जा रहा है।
इस तनाव को देखते हुए माना जा रहा था कि अमेरिका ताइवान की नौसेना को भी रिमपैक में शामिल होने का न्यौता दे सकती है लेकिन ऐसा हुआ नहीं। माना जा रहा है कि अमेरिका ने चीन के साथ तनाव के चरम पहुंचने से रोकने के लिए ताइवान को इस अभ्यास में न्योता नहीं दिया। अमेरिका ने कुछ वक्त पहले ही ताइवान के साथ अपने घातक F-16V फाइटर जेट की डील की है।
एस्पर ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को चीन के साथ ताकत की लड़ाई का केंद्र बताया
हालांकि, एस्पर ने यह भी कहा है कि अमेरिका चीन के साथ काम करके उन्हें ‘ऐसे रास्ते पर लाएगा जो अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत आता हो। एस्पर ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को चीन के साथ ताकत की लड़ाई का केंद्र बताया। उन्होंने कहा कि हम इस क्षेत्र को छोड़ने वाले नहीं हैं, एक इंच को भी, किसी देश के लिए, किसी ऐसे देश के लिए जिसे लगता है कि उसकी सरकार, मानवाधिकार, संप्रभुता, प्रेस की फ्रीडम, धर्म की आजादी, असेंबली की आजादी पर उसके विचार दूसरों से बेहतर हैं।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वु सियान ने कहा कि ‘अमेरिका के दबाव से डरता नहीं है चीन’
चीन के रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि ‘कुछ अमेरिकी नेता’ चीन-अमेरिका के सैन्य संबंध नवंबर में होने वाले चुनावों से पहले अपने फायदे के लिए खराब करना चाहते हैं। सैन्य टकराव पैदा करना चाहते हैं। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वु सियान ने कहा है कि इस तरह के व्यवहार से दोनों ओर के फ्रंटलाइन ऑफिसरों और सैनिकों की जान खतरे में पड़ती है। उन्होंने कहा कि चीन अमेरिका के दबाव और उकसावे से डरता नहीं है। वह अपनी रक्षा करेगा और अमेरिका को कोई मुसीबत खड़ी नहीं करने देगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि अमेरिका रणनीतिक विजन अपनाएगा। चीन के विकास को खुले मन से देखेगा और किसी भी तरह की परेशानी को पीछे छोड़ देगा।