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38 साल बाद घर पहुंचेगा सियाचिन के हीरो का पार्थिव शरीर, 1984 में हुआ था शहीद

Writer D by Writer D
15/08/2022
in Main Slider, उत्तराखंड, राष्ट्रीय
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Chandrashekhar

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हल्द्वानी। साल 1984 में सियाचिन (Siachen) में शहीद हुए 19 कुमाऊं रेजीमेंट (19 Kumaon Regiment) के जवान चंद्रशेखर हर्बोला (Chandrashekhar Harbola) का पार्थिव शरीर 38 साल बाद उत्तराखंड के हल्द्वानी में उनके घर पहुंचेगा।  जानकारी के मुताबिक, सियाचिन में आए बर्फीले तूफान की चपेट में 19 लोग आ गए थे।

फिर सर्च ऑपरेशन के दौरान 14 जवानों के शव को बरामद कर लिया गया था, 5 लोगों का पार्थिव शरीर नहीं मिला था।  इसमें शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला का नाम भी शामिल था।  शहीद के घर वालों को भी साल 1984 में यह सूचना दे दी गई थी कि उनका पार्थिव शरीर नहीं मिला है। वो बर्फीले तूफान की चपेट में आकर शहीद हो गए हैं, लेकिन वक्त का फेर ऐसा बदला कि अब 38 साल बाद शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचेगा।

Martyr Chandrashekhar Harbola body will reach home after 38 years was  buried in snow of Siachen | Chandrashekhar Harbola: 38 साल बाद घर पहुंचेगा  शहीद का पार्थिव शरीर, 1984 से सियाचिन की

19 कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला 29 मई 1984 को सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत (Operation Mehghdoot) के दौरान शहीद हो गए थे।  बताया जाता है कि उस बर्फीले तूफान में ऑपरेशन मेघदूत के 19 लोग दबे थे जिनमें से 14 जवानों का पार्थिव शरीर बरामद कर लिया गया था।

38 साल बाद पुराने बंकर में मिला सियाचीन के 'हीरो' का पार्थिव शरीर, ऑपरेशन  मेघदूत में हो गए थे शहीद | TV9 Bharatvarsh

सर्च ऑपरेशन के दौरान पांच जवानों का पार्थिव शरीर नहीं मिल पाया था, जिसके बाद सेना ने शहीद चंद्रशेखर हर्बोला के घर में यह खबर दे दी थी कि चंद्रशेखर बर्फीले तूफान के कारण शहीद हो गए हैं।

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गौरतलब है कि शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला के परिजनों को जब उनके पार्थिव शरीर के मिलने की खबर मिली तो पुरानी धुंधली यादें ताजा हो गईं।  उनको परिवार के सदस्य के जाने का दुख भी है और देश की सेवा करते हुए चंद्रशेखर हर्बोला ने अपने प्राणों का बलिदान किया, इसका गर्व भी है।

Tags: Chandrashekhar HarbolaNational newsoperaton meghdootsiachinUttarakhand News
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