उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (Mahakal Mandir) में सोमवार रात एक अनोखी घटना ने श्रद्धालुओं को हैरान कर दिया। 18 अगस्त 2025 की रात 8 बजे जब पुजारी बाबा महाकाल (Mahakal) के शिवलिंग का भांग से शृंगार कर रहे थे, तभी अचानक शिवलिंग पर लगाया गया मुखौटा टूटकर गिर पड़ा। घटना के बाद तुरंत पुजारियों ने दोबारा शृंगार कर आरती संपन्न की, लेकिन इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भक्तों और जानकारों के बीच चर्चा तेज हो गई।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य अमर त्रिवेदी ने इस घटना को अप्राकृतिक संकेत बताया। उन्होंने कहा कि देवता हमेशा वही सामग्री स्वीकार करते हैं जो शुद्ध, श्रद्धापूर्ण और धर्मसम्मत हो। यदि किसी सामग्री में त्रुटि हो या भक्तों का भाव ठीक न हो, तो देवता उस सामग्री को त्याग देते हैं।
विज्ञान की दृष्टि से त्रिवेदी का कहना है कि पत्थरों में अपनी नमी (आद्रता) और उष्णता होती है। जब शिवलिंग पर बाहरी आद्रता व उष्णता वाली भांग लगाई जाती है, तो कभी-कभी उसके गिरने की संभावना रहती है।
शास्त्रीय दृष्टिकोण
धार्मिक विद्वान और महर्षि पाणिनि वेद विद्या संस्थान के पूर्व कुलपति डॉ. मोहन गुप्त का कहना है कि शिवलिंग पर भांग चढ़ाने या शृंगार करने का उल्लेख किसी भी शास्त्र में नहीं है। न तो शिव पुराण में और न ही लिंग पुराण में ऐसी परंपरा का जिक्र मिलता है।
डॉ. गुप्त ने यह भी कहा कि लंबे समय तक भांग शिवलिंग पर लगे रहने से उसका क्षरण होता है। इसलिए भांग का शृंगार धार्मिक और शास्त्रीय दृष्टि से उचित नहीं है।
मंदिर प्रशासन मौन
इस पूरे मामले पर महाकाल मंदिर (Mahakal Mandir) के पुजारी और समिति के जिम्मेदारों ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। वहीं, श्रद्धालुओं के बीच यह सवाल गूंज रहा है कि शिवलिंग पर भांग चढ़ाना परंपरा है या आस्था के नाम पर शुरू की गई एक प्रथा।
घटना ने भक्तों में कौतूहल और चिंता दोनों बढ़ा दी है। अब देखना होगा कि मंदिर प्रशासन और धर्माचार्य आगे इस पर क्या निर्णय लेते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल मंदिर (Mahakal Mandir) समिति को दिए थे निर्देश
वर्ष 2020 में शिवलिंग के क्षरण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल मंदिर (Mahakal Mandir) समिति को स्पष्ट निर्देश दिए थे। कोर्ट ने तय मात्रा में ही पंचामृत चढ़ाने और भांग समेत अन्य सामग्रियों के प्रयोग पर नियंत्रण रखने को कहा था। इसके बावजूद वर्तमान समय में निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन नहीं हो रहा है। शिवलिंग पर तय मात्रा से अधिक भांग लगाए जाने की वजह से ही मुखौटा गिरा, ऐसा माना जा रहा है।