नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति की घोषणा की। नई शिक्षा नीति लागू होने से अभी तक चला आ रहा स्कूल एजुकेशन सिस्टम और कॉलेज, विश्वविद्यालयों में चल रहा ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल, पीएचडी का सिस्टम काफी बदल जाएगा। नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल के बच्चों की परफॉर्मेंस का आकलन करने के लिए कई बदलाव किए गए हैं। अब उनके प्रदर्शन को तीन स्तर पर परखा जाएगा। बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में बदलाव होगा। उनका तीन स्तर पर आकलन किया जाएगा। एक स्वयं छात्र करेगा, दूसरा सहपाठी और तीसरा उसका शिक्षक। नेशनल एसेसमेंट सेंटर-परख बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर परीक्षण करेगा। 100 फीसदी नामांकन के जरिए पढ़ाई छोड़ चुके करीब दो करोड़ बच्चों को फिर दाखिला दिलाया जाएगा।
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रिपोर्ट कार्ड बच्चे का पोर्टफोलियो होगा
स्कूली शिक्षा सचिव ने बताया कि बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के स्वरूप में बदलाव करते हुए समग्र मूल्यांकन पर आधारित रिपोर्ट कार्ड की बात कही गई है। हर कक्षा में जीवन कौशल परखने पर जोर होगा ताकि जब बच्चा 12वीं कक्षा में निकलेगा तो उसके पास पूरा पोर्टफोलियो होगा। इसके अलावा पारदर्शी एवं आनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
नई शिक्षा नीति में बच्चों का तनाव कम करने और छात्रों को ज्यादा से ज्यादा सहूलियत देने के लिए कई बड़ी बातें कहीं गई हैं। कक्षा पांचवीं तक और जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
दुनिया में मान्य प्रणाली अपनाई
नई नीति में 12 साल की स्कूली शिक्षा का प्रावधान किया गया है। अब तक शिक्षा प्रणाली से दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को भी स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाया जाएगा। उनके लिए विशेष पाठ्यक्रम लांच किया जाएगा। इस व्यवस्था को पूरी दुनिया में बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है।
कक्षा छह से ही छात्रों में कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए विशेष तौर पर वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी। इसके अलावा संगीत और कला को बढ़ावा दिया जाएगा। इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा।
आठ भाषाओं में ई-कोर्स
शिक्षा सचिव ने बताया कि हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के अलावा आठ क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्स होगा। वर्चुअल लैब के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही नेशनल एजुकेशन टेक्नॉलोजी फोरम बनाने की भी योजना है। तकनीकी के माध्यम से दिव्यांगजनों में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। बालिकाओं के लिये लैंगिक शिक्षा कोष की बात कही गई है। स्कूली शिक्षा सचिव अनिता करवल ने बताया कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 के 15 वर्ष हो गए हैं और अब नया पाठ्यचर्या आएगा। इसी प्रकार से शिक्षक शिक्षा के पाठ्यक्रम के भी 11 साल हो गए हैं, इसमें भी सुधार किया जाएगा।
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नई शिक्षा नीति में 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाने का ऐलान किया गया है। परीक्षाएं दो बार कराने, वस्तुनिष्ठ और व्याख्यात्मक दो भागों में कराने का भी सुझाव है।
बोर्ड परीक्षाओं में विद्याथिर्यों की वास्तविक क्षमताओं एवं योग्यताओं को परखा जाएगा। छात्रों द्वारा रटे हुए सवालों पर बोर्ड परीक्षा का दारोमदार अब नहीं रहेगा। नीति में कहा गया है कि विभिन्न बोर्ड आने वाले समय में बोर्ड परीक्षाओं के व्यवहार्य मॉडल तैयार करेंगे। जैसे वार्षिक, सेमिस्टर और मोड्यूलर बोर्ड परीक्षाएं। बोर्ड परीक्षाएं दो भागों में या दो तरह जैसे वस्तुनिष्ठ और व्याख्यात्मक भी हो सकती हैं।