Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

राजनीति की शतरंज पर बिछने लगी बिसात, टिकटार्थीयों का शुरू हुआ बादशाह और वजीर का खेल

श्रावस्ती। चुनावी रणभेरी बजने के साथ ही पार्टी और प्रत्याशियों में धमाचौकड़ी शुरू हो गई है। एक ओर जहां प्रत्याशी टिकट के जुगाड़ में प्रदेश और केंद्रीय कार्यालय का चक्कर लगाने के साथ शतरंज का विसात बिछाये हुए हैं शतरंज के इस खेल में टिकतार्थी बादशाह और वजीर के साथ घोड़े की चाल भी चल रहे हैं।
शतरंज की खेल की तरह राजनीति के खेल में भी घोड़ा ढाई घर आगे और ढाई घर पीछे चलकर मारता है, मझे हुए राजनीतिक टिकटार्थीयों की यही चाल शुरू हो चुकी है, जिस कारण सभी दलों के आलकमान भी टिकट बांटने को लेकर धर्म संकट में पड़ चुका है और प्रमुख दलों ने भविष्य की राजनीतिक सत्ता को लेकर राजनीति की निष्ठाये पूरी तरह से धूमिल होती जा रही है। जनपद के एक वरिष्ठ व वयोवृद्ध 85 वर्षीय राजनेता तथा समाज शास्त्र और राजनीत शास्त्र में अच्छा ज्ञान रखने वाले पूर्व प्रवक्ता लालजी पाठक का मानना है कि वर्तमान राजनीति सिद्धांतों पर नहीं रह गई है अब लोग येन केन प्रकरण पद और सत्ता हासिल करके सुख भोगना चाहते हैं। और समाज में अपने रुतबे को कायम रखने की होड शुरू है। इस कारण नुकसान तो लोकतंत्र का ही हो रहा है।
वहीं पार्टी आलाकमान भी जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश में जुट गई है। इस संग्राम में जनपद की दो विधानसभा सीट श्रावस्ती और भिनगा विधानसभा सीट पर लोगों में सभी पार्टियों के प्रत्याशियों के चयन के लिए कयाशबाजी शुरू हो गई है। श्रावस्ती सीट पर भाजपा का वर्चस्व रहा है और भाजपा के प्रत्याशियों ने नौ बार जीत हासिल की है। जबकि कांग्रेस को पांच बार सीट जीती है। बसपा और सपा एक एक बार जीती है। लेकिन 1985 के बाद कांग्रेस खाता नहीं खोल सकी है।
मालूम हो कि वर्तमान समय में श्रावस्ती विधानसभा को पहले इकौना विधानसभा के नाम ने जाना जाता था। परिसीमन के बाद श्रावस्ती विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी अक्षरवर लाल ने लगातार 1993, 1998 और 2002 में सर्वाधिक तीन बार जीत हासिल की है। इसके बाद दूसरे नंबर पर विष्णु दयाल का नंबर आता है। जिन्होंने लगातार दो बार वर्ष 1989 और 1991 में जीत हासिल की है। इसके पहले विष्णु दयाल ने जनता पार्टी से 1977 में भी जीत दर्ज की थी। इसी तरह से जनसंघ के टिकट पर भगौती प्रसाद ने वर्ष 1967 और 1969 में विजय पताका फहरायी थी।
रायपुर में होने जा रहा है छोटे भाई-बड़े भाई के बीच मुकाबला : उमेश काऊ
भाजपा के बाद इस सीट पर कांग्रेस ने पांच बार जीत दर्ज की है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी बाबू शिवशरण लाल लगातार दो बार विधायक बने। वर्ष 1952 में विधायक बने और जनता ने इन्हें 1957 में भी जीत देकर विधायक बनाया। इसके बाद 1974 में दुलारा देवी, 1980 में राजकिशोर और 1985 में राम सागर राव विधायक बने। लेकिन 1985 के बाद कांग्रेस का खाता नहीं खुला और इस सीट पर बसपा ने 2007 में जीत हासिल की और राम सागर अकेला विधायक बने। जबकि सपा ने भी एक बार परचम लहराया है। सपा के हाजी मोहम्मद रमजान ने 2012 में जीत हासिल की थी। वर्तमाान में भाजपा से राम फेरन पांडेय विधायक है, जबकि भिनगा विधानसभाा से बसपा से असलम राईनी विधायक हैं ।
हालांकि कुछ माह पूर्ब अपनी ऊंची महत्वाकांक्षाा को लेकर बसपा की निष्ठाा को छोड़कर समाजवादीी पार्टी का दामन थाम लिये । भिंगा विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक असलम राईनी और सपा के पूर्व विधायक इंद्राणी वर्मा में टिकट को लेकर मुख्य रूप से जोर आजमाइश है, जबकि भाजपा से राजकुमार अलक्षेंद्र कांत सिंह, पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष संजय कैराती एव वर्तमान महामंत्री रमन सिंह में प्रमुख रूप से जोर आजमाइश जारी है। इसी तरह से श्रावस्ती विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी में सपा के पूर्व विधायक मोहम्मद रमजान हाजी, लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव अभिषेक मिश्रा तथा राजनीतिक गलियारो में परिवारिक रसूख रखने वाले युवाा नेता अमर सिंह यादव में जोर आजमाइश जारी है ।

 

 

इसी तरह से भाजपा वर्तमान विधायक राम फेरन पांडेय, बसपा से भाजपाा का दामन थामने वाले विनोद त्रिपाठी, आरएसएस की पृष्ठभूििम से माने जाने वाले विजलेन्द्र पांडेय, दिवाकर शुक्ला, शंकर दयाल पांडेय व आशीष मिश्रा का नाम शामिल है। यह सभी टिकतार्थी शतरंज रूपी राजनीतिक शतरंज में बादशाह ,वजीर तथा घोड़े की चाल चलने में हर अस्त्र का प्रयोग कर रहे हैं।

Exit mobile version