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कॉमन सर्विस केन्द्र सिर्फ मुख्य परीक्षा के लिए है, न कि मॉक टेस्ट के लिए

मॉक टेस्ट

मॉक टेस्ट

नई दिल्ली| उच्च न्यायालय को सोमवार को बताया गया कि कॉमन सर्विस केन्द्रों (सीएसई) सिर्फ मुख्य परीक्षा के लिए है, न कि मॉक टेस्ट के लिए। सीएसई एकेडमी के मालिक ने न्यायालय को यह जानकारी दी है। सीएसई केंद्रों पर दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक कर रहे अंतिम वर्ष के उन छात्रों के लिए प्रबंध किया जा रहा जिनके पास आनलाइन ओपन बुक परीक्षा में शामिल होने के लिए कंप्यूटर, इंटरनेट की सुविधा नहीं है।

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जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह समक्ष ओपन बुक परीक्षा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सीएसई एकेडमी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिनेश त्यागी ने यह जानकारी दी। केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सीएसई एकेडमी की सेवा ली है और दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ इसका करार है। वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाइ के दौरान त्यागी ने कहा कि डीयू ने मॉक टेस्ट के लिए उनसे कॉमन सर्विस सेंटर की सेवाएं नहीं मांगी है। उन्होंने यह जानकारी तब दी जब याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय को बताया गया कि पहले चरण के मॉक टस्ट में 27 जुलाई को 12,500 सीएसई केंद्र बंद रहे हैं। त्यागी ने बताया कि देशभर के 3.64 लाख सीएसई केंद्र का लोकेटर डीयू के वेबसाइट पर है और छात्र आसानी से वहां पहुंच सकते हैं। इस पर न्यायालय ने जानना चाहा कि यदि कोई छात्र मॉक टेस्ट के लिए सीएसई केंद्र का इस्तेमाल करना चाहता है तो ऐसे में उसके लिए क्या विकल्प है। इस पर न तो डीयू की तरफ से संतोषजनक जवाब मिला और न ही सीएसई एकेडमी की तरफ। डीयू के डीन प्रो. विनय गुप्ता ने भी न्यायालय को बताया की छात्र मॉक टेस्ट के लिए सीएसई केंद्र का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

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डीयू ने यह भी पूछा कि 59 हजार छात्र असम, बिहार जैसे बाढ़ग्रस्त इलाके में फंसे हैं, ऐसे में वह परीक्षा में कैसे शामिल होंगे। इस पर डीयू ने कहा कि दो न्यायाधीश की पीठ के इस मामले की विस्तृत परिवेश में सुनवाई कर रही है, लिहाजा सिर्फ याचिका की मांग तक ही सुनवाई सीमित होनी चाहिए। न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय को अंतिम वर्ष के छात्रों को आनलाइन ओपन बुक परीक्षा कराने की इजाजत दी जा सकती है या नहीं, इस पर शुक्रवार को सभी पक्षों की दलीलें सुनी जाएगी। न्यायालय ने इस बारे में दिल्ली विश्विविद्यालय, याचिकाकर्ता छात्रों सहित सभी संबंधित पक्षों को कानूनी पहलुओं के बारे में बताने का निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय में उस याचिका पर सुनवाई हो रही है जिसमें यूजीसी द्वारा अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए अनिवार्य रूप से विश्वविद्यालयों को परीक्षा कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए।

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