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देश सेवा की अलख जगेगी, तभी आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को मूर्तरूप मिलेगा : ओमपाल

 

लखनऊ। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में रविवार को विवि के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में आत्मनिर्भर भारत और तकनीकी शिक्षा विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री ओमपाल ने बतौर मुख्य वक्ता प्रतिभाग किया। वेबिनार में विवि के मीडिया प्रभारी आशीष मिश्र ने सभी का स्वागत किया और मुख्य वक्ता का परिचय प्रस्तुत किया।

वेबिनार संबोधन में ओमपाल ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को मूर्तरूप प्रदान करने के लिए हमें अपनी पौराणिक और पारंपरिक पद्धतियों को आत्मसात करना होगा। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए हमारे युवाओं को राष्ट्र के लिए विकास के लिए कार्य करने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि 20 वर्ष पहले जापान गये एक शिक्षक को आश्चर्य हुआ कि जिस देश द्वतीय विश्व युद्ध के समय विनाशकारी समय देखना पड़ा। वह मात्र 40 वर्षों में विकसित देशों की श्रेणी में है। उन्होंने वहां के एक विश्वविद्यालय में एक सर्वे किया, जिसमें उन्होंने प्रत्येक विद्यार्थी से एक ही प्रश्न पूछा कि आपने जीवन का लक्ष्य क्या है? प्रश्न का उत्तर मात्र तीन या चार शब्दों में देने का निर्देश था। 99 प्रतिशत विद्यार्थियों ने एक जैसा उत्तर दिया, कि वह जापान की सेवा करना चाहते हैं।

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उन्होंने कहा कि भारत में भी इस तरह की अलख जब प्रत्येक युवा के अन्दर जागेगी कि उसे भारत की सेवा करनी है, तभी आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को मूर्तरूप मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि हमारी ऋषि संस्कृति के कारण विश्व ने हमें जगत गुरु कहा और हमारी कृषि संस्कृति के कारण हमें सोने की चिड़िया कहा। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए अर्थतंत्र, स्वास्थ्य तंत्र और शिक्षा तंत्र को स्वदेशी बनाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि अर्थतंत्र के लिए कृषि प्रधानता, स्वास्थ्य तंत्र के लिए आयुर्वेद और शिक्षा तंत्र के लिए वैदिक सिद्धांतों के आधार नवीन तकनीकों के विकास के लिए शोध कार्यों को बढ़ावा देना होगा।

इस अवसर पर विवि के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए तकनीकी राष्ट्रवाद की भावना के विकास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एमर्जिंग टेक्नोलॉजीज एवं वैदिक सिद्धांतों और डाटाबेस की मदद से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा विवि इस दिशा में कार्य प्रारम्भ कर रहा है।

विवि के पूर्व आचार्य प्रो. एसपी त्रिपाठी ने वेबिनार में प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। वेबिनार का सञ्चालन विवि के सह-आचार्य डॉ. एसएन मिश्रा किया। वेबिनार में लगभग दो सौ शिक्षकों और पांच सौ से अधिक विद्यार्थियों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।

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