पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रमुख नगर गोरखपुर की गंगा राप्ती नदी के राजघाट पर बुधवार को भी नदी किनारे जीवन की सबसे बडी सच्चाई मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार का क्रम जारी था लेकिन माहौल बिलकुल अलहदा था।
अपने प्रियजन को अंतिम विदाई देने आए लोग पहले जहां यहां स्नान करने की बजाय शरीर पर जल की कुछ बूंदे छिड़क कर अपनी शुद्धि की औपचारिकता पूरी कर लेते थे, अब लगातार डुबकियाँ लगाते दिख रहे। धूप से बचने के लिए अब गमछे का सहारा नहीं लिया जा रहा, राजस्थानी शैली के आकर्षक लघु गुम्बदनुमा ठौर उन्हें सुकून दे रहे। जिस उपेक्षित श्मशान स्थल पर लोग अनचाहे में ही आते थे बदले स्वरूप में वह किसी पर्यटन स्थल जैसा दिख रहा है। सेल्फी के शौकीनों को तो मनाचाही जगह मिल गई है।
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मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राप्ती नदी के इस तट पर महायोगी गुरु गोरक्षनाथ घाट, इसके सामने रामघाट और बाबा मुक्तेश्वरनाथ के नाम से सुविधाओं से युक्त श्मशान घाट के लोकार्पण के साथ ही करीब 61 करोड़ रुपए के विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास कर जहां चाह वहां राह की उक्ति को चरितार्थ कर दिखाया। बुधवार को यहां टहलते मिले समीप के मोहल्ले हांसपुर के निवासी रमेश कुमार ने कहा “बचपन से यहां गंदगी ही देखी थी। कभी सोचा भी नहीं था कि राजघाट का ऐसा कायाकल्प हो जाएगा। महाराजजी (योगी) ही इतनी आगे की सोच सकते हैं। ”
सूत्र बताते है कि श्री योगी ने राप्ती नदी की निर्मलता और राजघाट के श्मशान स्थल के कायाकल्प का प्रयास सांसद रहते ही शुरू कर दिया था। सामाजिक सरोकारों के निर्वहन में उनका इस घाट पर कई बार आना हुआ है। यहां आने के बदहाल रास्ते, घाट पर पसरी गंदगी, स्नान के लिए कोई भी पक्का घाट नहीं और बुनियादी सुविधाओं के नाम पर शून्य देख उनका मन खिन्न होता था। इन समस्याओं के के लिए बतौर सांसद उन्होंने लगातार इसे मुद्दा भी बनाया। योगी के संसदीय कार्यकाल में अक्टूबर 2016 में गोरखपुर आये तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा ने राप्ती के इस तट पर पक्का स्नान घाट बनवाने की हामी भरी थी लेकिन राज्य में तत्समय की सरकार ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।
उत्तर प्रदेश की कमान मिलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसी कार्ययोजना बनाई की आज न यहां अंतिम संस्कार और स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं के स्नान के लिए अलग अलग सुविधाओं से युक्त घाट बन गए हैं।
राप्ती नदी के राजघाट पर अंतिम संस्कार के अलावा मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, माघी पूर्णिमा समेत सभी प्रमुख स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इसके साथ ही इस घाट पर छठ पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। घाटों के कायाकल्प से पहले यहां कोई भी व्यवस्था न होने से लोगों को काफी असुविधा होती थी। योगी के एजेंडे में शीर्ष प्राथमिकता में शामिल रहे राजघाट को न केवल सौन्दर्यीकृत किया गया है बल्कि पुरुषों और महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम, प्रसाधन समेत सभी जरूरी सुविधाओं की मुकम्मल व्यवस्था कर दी गई है।
गोरखपुर के महापौर सीताराम जायसवाल बताते हैं कि राप्ती नदी के राजघाट पर पक्के स्नान घाट की मांग दो दशक पुरानी है जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरा किया है। उनकी सोच अन्य जनप्रतिनिधियों से बहुत आगे है। गोरखपुर का सौभाग्य है कि यह मुख्यमंत्री का कर्म क्षेत्र है। उनसे एक मांगो तो चार मिलता है।