मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग मंगलवार को औपचारिक ऐलान कर सकता है। चुनाव आयोग की 29 सितंबर को होने वाली बैठक में मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर होने वाले उप चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है।
यह चुनाव शिवराज सिंह चौहान के सियासी भविष्य के साथ-साथ कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम कमलनाथ के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनो ही पार्टियां पूरा जोर लगा रही हैं।
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मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हैं। इन 28 में 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद खाली हुई हैं जबकि 3 सीटें विधायकों के निधन के चलते रिक्त हुई हैं। सुमावली, मुरैना, दिमनी अंबाह, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, डबरा, भांडेर, करेरा, पोहरी, बामोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी, सांची, अनूपपुर, सांवेर, हाटपिपल्या, सुवासरा, बदनावर, आगर-मालवा, जौरा, नेपानगर, मलहारा, मंधाता और ब्यावरा में उपचुनाव हैं।
मध्य प्रदेश में विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 230 है, जिनमें से 28 सीट खाली है. मौजूदा वक्त में बीजेपी के पास 107, कांग्रेस के पास 88, बसपा के पास 2, सपा के 1 और निर्दलीय 4 विधायक हैं। उपचुनाव के बाद किसी भी दल को सत्ता में बने रहने के लिए 116 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में बीजेपी को सत्ता में बने रहे के लिए कम से कम 9 विधायकों की जरूरत होगी जबकि कांग्रेस के सामने सभी 28 सीटें जीतने की चुनौती है।
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ऐसे में दोनों ही दल चुनाव में जीत के लिए हरसंभव कोशिश में जुटे हैं। शिवराज सिंह अपनी सत्ता को बरकरार रखने की जद्दोजहद कर रहे हैं तो कमलनाथ दोबारा से सत्ता में वापसी के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं।