Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

विजयादशमी का दिन होता है श्रेष्ठ, बिना मुहूर्त के करें शुभ कार्य

dussehra

विजयादशमी

लाइफ़स्टाइल डेस्क। शास्त्रों के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा या विजयादशमी का त्योहार बड़े धूम-धाम से मनाने का विधान है। दुर्गा पूजा के दसवें दिन मनाई जाने वाली विजयादशमी अभिमान, अत्याचार एवं बुराई पर सत्य, धर्म और अच्छाई की विजय का प्रतीक है। भगवान श्री राम ने अधर्म,अत्याचार और अन्याय के प्रतीक रावण का वध करके पृथ्वीवासियों को भयमुक्त किया था और देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध करके धर्म और सत्य की रक्षा की थी।

इस दिन भगवान श्री राम, दुर्गाजी, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और हनुमान जी की आराधना करके सभी के लिए मंगल की कामना की जाती है। समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विजयादशमी पर रामायण पाठ, श्री राम रक्षा स्त्रोत, सुंदरकांड आदि का पाठ किया जाना शुभ माना जाता है।

विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि है इसलिए इस दिन को सभी शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार इस दिन बच्चों का अक्षर लेखन, दुकान या घर का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, अन्न प्राशन, नामकरण, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार, भूमि पूजन आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं। परन्तु विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है।

मान्यता है कि इस दिन जो कार्य शुरू किया जाता है उसमें सफलता अवश्य मिलती है। यही वजह है कि प्राचीन काल में राजा इसी दिन विजय की कामना से रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं, रामलीला का आयोजन होता है और रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे बुराई के प्रतीक के रूप में  जलाया जाता है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने शमी के पेड़ के ऊपर अपने अस्त्र शस्त्र छिपाए थे, जिसके बाद युद्ध में उन्होंने कौरवों पर जीत हासिल की थी। इस दिन घर की पूर्व दिशा में शमी की टहनी प्रतिष्ठित करके उसका विधिपूर्वक पूजन करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है, महिलाओं को अखंड सौभग्य की प्राप्ति होती है एवं इस वृक्ष की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

दशहरा के दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद  दहन के पश्चात पान का बीणा खाना सत्य की जीत की ख़ुशी को व्यक्त करता है। इस दिन हनुमानजी को मीठी बूंदी का भोग लगाने बाद उन्हें पान अर्पित करके उनका आशीर्वाद लेने का महत्त्व है। विजयादशमी पर पान खाना, खिलाना मान-सम्मान, प्रेम एवं विजय का सूचक माना जाता है।

लंकापति रावण पर विजय पाने की कामना से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने पहले नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे। नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है। दशहरा के दिन नीलकंठ के दर्शन और भगवान शिव से शुभफल की कामना करने से जीवन में भाग्योदय,धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

Exit mobile version