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फिर खुल रहे हैं मां वैष्णोदेवी मंदिर के कपाट

वैष्णोदेवी

वैष्णोदेवी

धर्म डेस्क। वैष्णोदेवी एक पवित्र हिन्दू मंदिर है। ये पूरे विश्व में प्रचलित है। यह देवी शक्ति को समर्पित है। वैष्णोदेवी मंदिर भारत के जम्मू और कश्मीर में पहाड़ी पर स्थित है। कोरोनावायरस के चलते वैष्णोदेवी को भी बंद कर दिया गया था। लेकिन अब फिर से 16 अगस्त से वैष्णोदेवी के कपाट खोले जा रहे हैं। हर कोई वैष्णोदेवी के दर्शन करने को आतुर है। लेकिन क्या आप वैष्णोदेवी मंदिर की महिमा और कहानी जानते हैं। अगर नहीं तो आज हम आपके लिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा लाए हैं जिसका वर्णन हम यहां कर रहे हैं।

माना जाता है कि पंडित श्रीधर ने करीबन 700 साल पहले मां वैष्णोदेवी मंदिर का निर्माण किया था। ये एक ब्राह्मण पुजारी थे। वे गरीब थे लेकिन उन्हें मां के प्रति सच्ची श्रद्धा भक्ति थी। श्रीधर का एक सपना था कि वो एक दिन वैष्णोदेवी को समर्पित कर भंडारा करें। इसके लिए उन्होंने एक दिन भी तय किया और सभी को प्रसाद ग्रहण करने के लिए न्यौता भेज दिया। जिस दिन भंडारा था इस दिन श्रीधर बारी-बारी सभी के घर गए। वो चाहते थे कि उन्हें खाना बनाने की सामग्री मिले। इससे वो खाना बनाते और लोगों को खिला सकते। लेकिन मेहमान ज्यादा होने के कारण जितनी सामाग्री उनके पास थी वो काफी नहीं थी।

जैसे-जैसे भंडारे का दिन पास आ रहा था उसकी परेशानी बढ़ती जा रही थी। उसे यह बात बहुत परेशान कर रही थी कि वो लोगों को खाना कैसे खिलाएगा। कम जगह और कम सामाग्री की सोच के चलते वो सो भी नहीं पा रहा था। अब बस उसे देवी मां की ही आस थी। वह अपनी झोपड़ी के बाहर आया और पूजा के लिए बैठ गया। फिर दोपहर से मेहमान आना शुरू हो गए। जिसे जहां जगह दिखी वो वहां बैठ गया। अब भी काफी जगह बची थी।

श्रीधर इस असमंजस में था कि वो सभी को भोजन कैसे कराएगा। इसी क्षण उसने एक छोटी लड़की को अपनी झोपड़ी से बाहर आते देखा। इस बच्ची का नाम वैष्णवी था। वह बच्ची सभी को बड़े ही प्यार से भोजन करा रही थी। भगवान की कृपा से भंडारा अच्छे से संपन्न हो गया। जैसे ही भंडारा खत्म हुआ वो उस बच्ची से मिलने के लिए बेहद आतुर था। लेकिन अचानक ही वो बच्ची गायब हो गई। फिर कुछ दिनों बाद श्रीधर के सपने में वही बच्ची आई। तब उसे समझ आया कि वह मां वैष्णोदेवी थी। माता रानी के रूप में श्रीधर के सपने में आई लड़की ने उसे एक गुफा के बारे में बताया। इसे चार बेटों का वरदान भी दिया और आशीर्वाद दिया।

श्रीधर बेहद खुश हुआ और मां की गुफा की तलाश में चल दिया। जब उसे वह गुफा मिली तब उसने निर्णय किया कि वो अपना सारा जीवन मां की सेवा करेगा। बहुत ही कम समय में यह पवित्र गुफा प्रसिद्ध हो गई। पूरे वर्ष यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।

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