गोरखपुर। बेसहारा गोवंश के संरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) की संजीदगी जग जाहिर है। इसके लिए उनकी सरकार दो विशेष कार्यक्रम समानांतर चला रही है, निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना और निराश्रित गोवंश संरक्षण अभियान (Cow Protection Campaign) । एक तरफ पशुपालकों को मुफ्त गोवंश देने के साथ उनके भरण पोषण का खर्च भी दे रही है तो दूसरी तरफ बड़ी संख्या में बेसहारा गोवंश को सरकारी खर्च पर आश्रय स्थलों में संरक्षित किया जा रहा है।
निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना (Cow Protection Campaign) का दोतरफा लाभ दिख रहा है। इससे बेसहारा गोवंश को पोषणयुक्त संरक्षण मिल रहा है तो साथ ही गोवंश पालने के इच्छुक लोग बिना कुछ खर्च किए ही पशु मालिक बन जा रहे हैं। इस योजना में सरकार बेसहारा गोवंश लेने वाले व्यक्ति को गाय या नंदी मुफ्त देने के साथ उनके भरण पोषण के लिए प्रति दिन प्रति गोवंश 50 रुपये की दर से भुगतान भी करती है। यानी एक गोवंश के लिए प्रतिमाह 1500 रुपये का भरण पोषण खर्च योगी सरकार देती है। एक व्यक्ति अधिकतम चार गोवंश ले सकता है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. धर्मेंद्र पांडेय बताते हैं कि गोरखपुर में निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना की प्रगति काफी उत्साहजनक है। निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना (Cow Protection Campaign) के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 361 गोवंश की सुपुर्दगी का क्रमिक लक्ष्य तय किया गया जबकि अद्यतन 474 गोवंश सुपुर्द किए गए हैं। इस सुपुर्दगी से 260 पशुपालक लाभान्वित हुए हैं। सुपुर्द किए गए गोवंश के सापेक्ष उनके भरण पोषण के लिए पशुपालकों को 70 लाख 44 हजार रुपये का भुगतान किया गया है।
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लोगों को मुफ्त पशुपालक बनाने के साथ ही सरकार बड़ी संख्या में आश्रय स्थलों के माध्यम से भी गोवंश का संरक्षण कर रही है। प्रायः पशुपालक बछड़ों को अपने लिए अनुपयोगी समझते हैं तो उन्हें खुले में ही छोड़ देते हैं। इससे ये पशु खुद तो असुरक्षित हो ही जाते हैं। कई बार दुर्घटनाओं के कारण भी बन जाते हैं। उनके खाने-पीने का भी संकट होता है। इसके लिए योगी सरकार ने बड़े पैमाने पर गो आश्रय स्थल खोले हैं। निराश्रित गोवंश संरक्षण अभियान के अंतर्गत जिले के 25 अस्थायी गो आश्रय स्थलों में 1391, तीन कान्हा गोशाला में 3040, दो वृहद गो संरक्षण केंद्रों में 2886, चार पंजीकृत गोशाला में 553, तीन अपंजीकृत गोशाला में 304 तथा 23 कांजी हाउस में 1697 गोवंश संरक्षित हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 8851 गोवंश के संरक्षण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जबकि वास्तविकता में 9871 गोवंश संरक्षित हो रहे हैं। लक्ष्य के सापेक्ष यह उपलब्धि 111.52 प्रतिशत है।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के किसी को गोवंश, खासकर बछड़ों को पालने में यदि किसी भी तरह की दिक्कत आ रही हो तो उन्हें खुले में छोड़ देने की बजाय सरकार की पहल पर संचालित गो आश्रय स्थल पहुंचा देना चाहिए। इससे गोवंश को आसरा भी मिल जाएगा और लोग किसी भी तरह की प्रावधानिक कार्यवाही से भी बच जाएंगे।