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आते ही अमेजॉन पर छा गई  ‘द फैमिली मैन 2’, देखें रिव्यू

'The Family Man 2' dominated Amazon as soon as it arrived, see review

'The Family Man 2' dominated Amazon as soon as it arrived, see review

ओटीटी प्लेटफॉर्म की मोस्ट अवेटेड सीरीज  ‘द फैमिली मैन 2’ (The Family Man 2) आ गई है। बता दे इस बार वैधानिक चेतावनी से ही शुरु करनी चाहिए, क्योंकि इस बार फैमिली मैन के मेकर्स ने तीन-तीन डिस्क्लेमर लगा दिए हैं – हिंदी में, तमिल में और इंग्लिश में। यानि जिसे दिक्कत हो, जिस भाषा में दिक्कत हो, वो डिस्क्लेमर पढ़ ले। और साथ ही अमेजन प्राइम ने इसके जरिए पंगों से अपना पीछा भी छुड़ा लिया है। वहीं अगर बात करें कहानी की तो फैमिली मैन -1 की कहानी, जितनी सीधी थी, सीज़न-2 की कहानी-उतनी ही टेढ़ी है। मामला इस बार पाकिस्तान से नहीं, बल्कि श्रीलंका से शुरु होता है। पहले एपिसोड की शुरुआत ही श्रीलंका से होती है। जहां भास्करन, अपनी तमिल रिबेल सेना के साथ सत्ता की जंग लड़ रहा है।

कौन गलत है, कौन सही, इस चक्कर में फैमिली मैन-2 पड़ती नहीं है, वो साफ कह कर निकल जाती है कि इंसान जब जानवर बन जाता है, तो जानवर से भी बदतर हो जाता है। अब आप इसे रिबेल तमिलियन के नजरिए से सोचिए, सियासत की नजर से सोचिए, ये आपके ऊपर है। हां, इस बार फैमिली मैन को पचाना आसान नहीं है । क्योंकि फैमिली मैन श्रीकांत की ज़िंदगी के साथ ही पूरी दुनिया में हंगामा मचा हुआ है। श्रीकांत, अपनी पत्नी सुची की खुशी के लिए टास्क की खतरनाकर नौकरी छोड़कर, प्राइवेट जॉब में जा पहुंचा है, जहां उसका आधी से कम उम्र का बॉस-उसे नो मिनिमम मैन होने का सबक सिखाता है और आखिरकार पिट के ही मानता है। सुची उसे मैरीज काउंसलर के पास लेकर जाती है और काउंसलर को गाली खिलवाती है। बेटी, मां-बाप के बीच की उधेड़बुन के बीच प्यार में पड़ती है, लेकिन टेरेरिस्टों के निशाने पर जा पहुंचती है। बेटा, साइलेंसर वाली गन मांगता है और हिप्नोटाइजिम्स की ट्रेनिंग लेता है। उधर श्रीकांत का मन अटका है टास्क में, और उसका दोस्त जेके इसमें उसका जरिया बना है।

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दूसरी ओर भास्करन लंदन पहुंच चुका है और अपनी तमिल रिबेल पार्टी के लिए दुनिया भर के देशों की हामी जुटा रहा है। उसका भाई सुबु चेन्नई में तमिल एमएलए की मदद से भारत सरकार को मनाना चाहता है। लेकिन दूसरी ओर श्रीलंका सरकार, पोर्ट बनाने के कॉन्ट्रैक्ट से चीन को हटाने के नाम पर इंडियन गर्वनमेंट के साथ सुबू का सौदा करना चाहती है। बस कहानी का रंग बदलता है। सुबू आईएसआई के किए ब्लास्ट में मरता है और सबकुछ गड़बड़। इस बीच एंट्री होती है, राजी बनी सामन्था अक्कीनेनी की। कमाल का एक्शन, कमाल के एक्सप्रेशन, और कमाल की डिस्कवरी। रिव्यू में स्टोरी की हाईलाइट भर हैं, लेकिन फैमिली मैन के इस सेकेंड सीजन को समझने के लिए आपको इसे दो बार देखना होगा। इसकी एक वजह और भी है, क्योंकि ये सीजन 60 फीसदी हिंदी में और 40 फीसदी तमिल में है। जिसे समझने के लिए अंग्रेजी या हिंदी वाले सब टाइटल्स का सहारा लेना होगा।

इस 9 एपिसोड्स की कहानी इस बार राज और डीके के साथ सुमन कुमार ने मिलकर लिखी है और 9 एपिसोड में से सिर्फ 4 एपिसोड का डायरेक्शन राज और डीके ने किया है, बाकि 5 एपिसोड उन्होने सुपन वर्मा से करवाएं हैं। यही वजह है कि इतनी फैली कहानी को इतने शानदार तरीके से समेटा जा सका है। परफॉरमेंस में मनोज बाजपेई, शानदार, जानदार और जबरदस्त हैं। सामन्था अक्कीनेनी बिल्कुल कमाल है। मनोज और सामन्था की कन्सीस्टेंसी फैमिली मैन-2 की हाईलाईट है। शारिब हाशमी बिल्कुल कैरेक्टर में हैं, टू द प्वाइंट। प्रियामणि की अपीयरेंस कमाल है। शरद केलकर के लिए इस बार स्पेस कम है। इंडियन पीएम बासू के कैरेक्टर में सीमा बिश्वास से बेहतर कोई और नहीं हो सकता। आसिफ बसरा के काउंसलर वाला कैरेक्टर बेहतरीन है। ये आखिरी किरदार एक लिए एक शानदार ट्रिब्यूट है। परफेक्ट कास्टिंग, जबरदस्त कहानी और बेहतरीन डायरेक्शन के साथ फैमिली मैन टू को 4 स्टार।

 

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