Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

पुरुषोत्तम मास के व्रत दूर हो जाएंगी जीवन की सारी बधाएं

Purushottam Maas

पुरुषोत्तम मास

धर्म डेस्क। यह आश्विन अधिक मास चल रहा है। यह महीना 16 अक्टूबर को समाप्त होगा। शास्त्रों में इसे पुरुषोत्तम माह कहा गया है। इस महीने भगवान विष्णु जी की आराधना की जाती है। अधिक मास में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। लेकिन ऐसे कई कार्य हैं जो इस महीने करने से सर्वाधिक लाभ की प्राप्ति होती है।

अधिक मास में भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का महत्व बताया गया है। इसलिए इस महीने सोमवार के दिन शिव आराधना करनी चाहिए। गुरुवार के दिन विष्णु जी की पूजा जरूर करनी चाहिए। वहीं अधिक मास में नवग्रहों की शांति के लिए शनिवार के दिन नवग्रह शांति के उपाय करने चाहिए।

शास्त्रों में बताया गया है कि पुरुषोत्तम माह में सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना करने से दस गुणा अधिक फल की प्राप्ति होती है। इस महीने सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना का महत्व है। शिव आराधना के लिए सोमवार व्रत रखना चाहिए। पुरुषोत्तम माह में बुधवार के दिन गणपति महाराज की पूजा करनी चाहिए। वहीं पद्मपुराण में यह बताया गया है कि अधिक मास में गुरुवार से लेकर शनिवार, रविवार और सोमवार का व्रत रखने वाले भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

मलमास में रुद्राभिषेक का महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार पुरुषोत्तम माह में नवग्रहों की शांति के उपाय जरूर करने चाहिए। उपाय के रूप में शनिवार के दिन रुद्राभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी कुंडली में सारे ग्रह आपके अनुकूल हो जाएंगे। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख-सुविधा में बढोतरी होगी।

अधिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पद्मिनी एकादशी व्रत आता है। ऐसा कहा जाता है कि इस महीने जो व्यक्ति यह व्रत करता है उसे सभी एकादशी व्रत के समान फल की प्राप्ति होती है। पद्मिनी एकादशी व्रत इस महीने 27 सितंबर रविवार के दिन रखा जाएगा। यह व्रत एकादशी तिथि में रखा जाता है जबकि व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है।

अधिक मास में ही परम एकादशी व्रत पड़ेगा। अधिक मास की यह दूसरी एकादशी है। अधिक मास में एकादशी का व्रत विशेष माना गया है। पद्मिनी एकादशी के बाद परम एकादशी का व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। यह एकादशी व्रत 13 अक्टूबर को पड़ रहा है।

पुरुषोत्तम मास में भगवान विष्णु जी की स्तुति के लिए सबसे बढ़िया उपाय विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ माना जाता है। वहीं ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र के पाठ से कुंडली का बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है।

ऐसा कहा जाता है कि अधिक या मलमास में जो कोई जातक सत्यनारायण की कथा सुनता है। उसे जातक को इसका अत्यधिक लाभ मिलता है। इस महीने भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। क्योंकि मलमास में ही पद्मिनी एकादशी आती है जो विष्णु जी को बेहद ही प्रिय है।

Exit mobile version