मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जनजातीय वर्ग सहित वो लोग जो विकास में सबसे पीछे और सबसे नीचे हैं उनका कल्याण राज्य सरकार की प्रतिबद्धता है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार श्री चौहान ने आज यहां मंत्रालय से वीडियो कान्फ्रेंस द्वारा आदिम जाति मंत्रणा परिषद की बैठक में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकारी खजाने पर भी पहला हक इन वर्गों का ही है। जनजाति वर्ग की परंपराओं, जीवन मूल्यों और उनकी संस्कृति को कायम रखते हुए उनकी समग्र प्रगति के प्रयास बढ़ाये जाएंगे। उन्होंने कहा कि आदिम जाति मंत्रणा परिषद का नाम अब जनजातीय मंत्रणा परिषद रहेगा।
इस अवसर पर जानकारी दी गई कि विभाग की ओर से जनजातीय जन-जीवन पर केन्द्रित एक नवीन संग्रहालय शहडोल संभाग में प्रारंभ किया जाएगा। इसके लिए उमरिया या निकट के किसी उपयुक्त स्थल का चयन किया जाएगा। वर्तमान में विभाग का इस तरह का संग्रहालय छिन्दवाड़ा में संचालित है।
बैठक में विभागीय मंत्री एवं परिषद की उपाध्यक्ष मीना सिंह भी उपस्थित थीं। परिषद के सदस्यों में वन मंत्री विजय शाह, विधायक अमर सिंह, कुंवर सिंह टेकाम, शरद कौल, जयसिंह मरावी, नंदिनी मरावी, पहाड़ सिंह कन्नौजे, दिलीप मकवाना, डॉ. रूपनारायण, राम दांगेरे, कालूसिंह मुजाल्दा आदि वीडियो कान्फ्रेंस द्वारा उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय वर्ग की कल्याण की योजनाओं के स्वरूप में यदि कहीं परिवर्तन की आवश्यकता है तो अध्ययन कर ऐसे परिवर्तन अवश्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों में पीसा एक्ट के क्रियान्वयन का अध्ययन कर आवश्यक निर्णय लिया जाएगा। जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों के लिए आवश्यकतानुसार छात्रावास भी प्रारंभ किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जनजातीय वर्ग को साहूकारों से भारी-भरकम ब्याज वाले कर्ज से बचाने के लिए मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम-1972 में संशोधन की पहल की गई। मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति विधेयक-2020 के माध्यम से साहूकारी का लायसेंस अनिवार्य कर ऐसे साहूकारों से भी ऋण की व्यवस्था का प्रावधान और नियम विरुद्ध दिए गए ऋण माफ करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है।
श्री चौहान ने साहूकारी के लायसेंस की अनिवार्यता के संबंध में वैधानिक प्रावधानों को लागू किए जाने संबंधी जानकारी प्राप्त की। आहार अनुदान योजना में जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को कुल 218 करोड़ का लाभ दिया गया है। उन्होंने कहा कि जनजातीय वर्ग के हित में इस तरह के प्रयास जारी रहेंगे।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय कल्याण योजनाओं का क्रियान्वयन इस तरह किया जाए कि इस वर्ग के लोगों की जिंदगी बदले। जनजातीय वर्ग के लोगों की संपत्ति पर किसी अन्य के कब्जे नहीं होने दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वनाधिकार पट्टे देने के कार्य में पात्र व्यक्ति को वंचित नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि यह अवश्य सुनिश्चित किया जाए कि नए कब्जे न हों। दिसम्बर 2006 के पूर्व के कब्जाधारियों को वनाधिकार के पट्टे दिए जाएं। जनजातीय वर्ग की युवतियों से विवाह कर उनकी भूमि पर कब्जा करने की मंशा रखने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, सहरिया और भारिया के व्यक्तियों को उनके वास्तविक रहवास स्थल के अलावा भी कहीं निवास करने पर योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता की तरह अन्य वन उपज के लिए जनजातीय वर्ग के लोगों को आर्थिक लाभ दिलवाने के प्रयास होंगे। प्रदेश में पूर्व की 14 वनोपज के अलावा 18 नई लघु वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू की गई है।
मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि जनजातीय कल्याण योजनाओं को गति दी जाए। संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के कार्यों की भी समीक्षा की जाए। श्री चौहान ने कहा कि जनजातीय लोगों में अनुवांशिक रोग सिकिल सेल एनीमिया पर नियंत्रण के लिए पूरे प्रदेश में जनजातीय आबादी का स्वास्थ्य सर्वेक्षण करवाया जाएगा। इसके साथ ही इन्हें हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध करवाये जाएंगे। सिकिल सेल, एनीमिया जैसी घातक बीमारी के बचाने के लिए जनजातीय समाज में जागरूकता अभियान भी संचालित किया जाएगा।
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श्री चौहान ने कहा कि आकांक्षा योजना में जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को नि:शुल्क कोचिंग दी जाती है। इस योजना का लाभ लेने के लिये 721 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया जिनमें से 541 विद्यार्थियों का जेईई, नीट और क्लेट के लिये चयन एक विशेष उपलब्धि है। योजना की प्रगति सराहनीय है। बैठक में बताया गया कि जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को प्रतिभा योजना में जेईई, नीट, क्लेट, एनडीए, एनआईआईटी, एफडीडीआई, एनआईएफटी और आईएचएम में चयनित होने पर 50 हजार रूपए की राशि और अन्य परीक्षाओं के लिये 25 हजार रूपए की राशि प्रति विद्यार्थी प्रदान की जाती है। पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति योजना में गत वर्ष लगभग साढ़े चार लाख विद्यार्थी लाभान्वित किये गये।
उन्होंने कहा कि परिषद के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझाव काफी महत्वपूर्ण हैं। इन सुझावों पर विचार कर अमल किया जाएगा। बैठक में प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण पल्लवी जैन गोविल ने विभागीय गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। प्रदेश में 86 वन धन केन्द्र बनाए गए हैं। बड़वानी और उमरिया में जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन किया गया। प्रदेश में वर्तमान में 2645 आश्रम, क्रीड़ा परिसर और अन्य संस्थाएं संचालित हैं। इनमें करीब डेढ़ लाख विद्यार्थी दाखिल हैं। प्रदेश में 126 विशिष्ट आवासीय संस्थाएं संचालित हैं।
आदिम जाति कल्याण विभाग 22 हजार 592 प्राथमिक शालाओं, 6800 माध्यमिक शालाओं, 731 हाई स्कूल और 860 हायर सेकेण्डरी स्कूल का संचालन कर रहा है। बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, आयुक्त आदिवासी विकास संजीव सिंह, संचालक आदिम जाति अनुसंधान संस्थान अशोक शाह, संचालक आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाएं सुश्री शैलबाला मार्टिन, मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त विकास निगम से अभिषेक सिंह और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में परिषद की 9 जनवरी 2020 को हुई बैठक के पालन प्रतिवेदन पर भी चर्चा हुई।