उत्तर प्रदेश के जालौन में 12 साल पहले अपहरण और हत्या की शिकार महिला के जिंदा होने की सूचना से न सिर्फ जिला प्रशासन के कान खड़े हो गये है वहीं इस मामले में दस लोगों को सजा दिलाने वाली पुलिस की कार्यशैली में गंभीर सवाल खड़े किये जा रहे हैं।
गौरतलब है कि 12 वर्ष पहले लड़की के अपहरण व हत्या के मामले में नामजद 10 लोगों पर कोर्ट में मुकदमा चल रहा है, जिसमे एक महिला आरोपी की मौत भी हो चुकी है, जबकि नौ अन्य जमानत पर हैं। अब अचानक लड़की के सामने आने से हड़कम्प मचा हुआ है।
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पुलिस अधीक्षक डॉ. यशवीर सिंह ने बुधवार को कहा कि यह घटना 2008 की है और उस समय शुरुआती जांच पुलिस ने की थी। इसके बाद पूरे मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई थी, जिसमें 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसमें से एक महिला की मौत हो चुकी है और बाकी 9 आरोपी जमानत पर बाहर हैं।
एसपी ने कहा कि अभी प्रतिवादी की तरफ से पुलिस को ये सूचना दी गई है कि लड़की जिंदा है और उसको बरामद कर लिया गया है। इस पूरे मामले के बारे में सीबीसीआईडी को पत्राचार के माध्यम से अवगत करा दिया गया है. आगे जो भी निर्देश प्राप्त होंगे, उसी के आधार पर पुलिस कार्रवाई करेगी।
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विवेचना के बाद सीबीसीआईडी ने वर्ष 2011 में न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इसमें एक महिला आरोपी की मौत हो चुकी है, जबकि बाकी आरोपी जमानत पर बाहर चल रहे हैं और न्यायालय के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि कालपी में 15 वर्षीय जावित्री उर्फ गायत्री वर्ष 2008 में घर के पास से अचानक गायब हो गई थी। किशोरी की मां राजो देवी ने नगर पालिका कालपी के तत्कालीन जेई सहित 10 लोगों के खिलाफ कालपी कोतवाली में अपहरण का मामला दर्ज कराया था। कुछ समय बाद कानपुर नगर के घाटमपुर थाना क्षेत्र में एक किशोरी की लाश बरामद हुई थी, जिसकी शिनाख्त राजो देवी ने अपनी पुत्री जावित्री के रूप में की थी। इसके बाद अपहरण का मामले में हत्या की धाराएं जुड़ गईं। इधर, आरोपियों की पहल पर मामले की जांच सीबीसीआईडी में स्थानांतरित हो गई थी, जिसकी विवेचना सीबीसीआईडी ने की।
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फैसले की घड़ी नजदीक आते ही इस कांड में नया मोड़ तब आया, जब कल प्रतिवादी पक्ष ने मृत घोषित हो चुकी लड़की जावित्री को अलीगढ़ के छरारा से बरामद करने का दावा करते हुए पुलिस के सामने पेश किया, हालांकि पुलिस मामले में हाथ डालने से बच रही है और पूरे मामले से सीबीसीआईडी को अवगत करा दिया है।
वहीं लड़की की मां राजो देवी ने बरामद लड़की को अपनी बेटी मानने इनकार कर रही है। वर्तमान में कालपी सीओ आरपी सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए पूरे केस को गलत बता रही है। लड़की की मां का कहना है कि जब उनकी बेटी का किडनैप हुआ, तब के आरपी सिंह उस समय घटना क्षेत्र के चौकी इंचार्ज थे और उसके 2 साल बाद जब मेरे बेटे की हत्या की गई, तब आरपी सिंह कालपी कोतवाली के इंचार्ज थे और आज जब इस केस को 12 साल बीत चुके हैं।
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उनकी लड़की को बरामद होने की बात की जा रही है तब आरपी सिंह वर्तमान में सीओ कालपी हैं।
मृतका की मां का कहना है कि सीओ कालपी आरपी सिंह फर्जी लड़की को हमारी बेटी बताकर आरोपियों को बचाना चाहते हैं। इसके अलावा लड़की की मां का यह भी कहना है कि सीओ (कालपी) आरपी सिंह आरोपियों के साथ मिलकर उसकी भी हत्या करवा सकते हैं, जिस प्रकार मेरे बेटे की हत्या की गई थी।