प्रदेश के 13 जिलों में रहने वाले 13 जनजातियों गोंड, धुरिया, नायक, ओझा, पठारी, राजगोंड और 62 जिलों में गोंड जनजाति को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने से संबधित शासनादेश जारी कर दिया गया है।
जारी शासनादेश में प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों व मंडलायुक्तों को कहा गया है कि गोंड जाति का प्रमाणपत्र जारी करने के लिए राष्ट्रपति का दस्तावेज मांगने वाले राजस्व कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाये।
जारी शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि गोंड जाति को 13 जिलों में अनुसूचित जनजाति और 62 जिलों में अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है। कहीं भी 6 माह के अन्दर बने जाति प्रमाणपत्र मांगने की जरूरत नहीं है क्योंकि जाति जन्मजात होती है।
आदेश में कहा गया है कि महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी, मिजार्पुर और सोनभद्र जिलों में रहने वाली गोंड धुरिया, नायक, ओझा, पठारी व राजगोंड जातियों को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र व 62 अन्य जिलों में रहने वाली गोंड जाति को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाए।
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सभी जिलाधिकारियों व मंडलायुक्तों के लिए जारी इस आदेश में कहा गया है कि शासन के संज्ञान में आया है कि प्राय: राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों (लेखपाल राजस्व निरीक्षक व तहसीलदार) द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर मनमानी करते हुए बिना किसी कारण आधारहीन मनगढ़ंत रिपोर्ट बनाकर उक्त जातियों को जाति प्रमाण पत्र से वंचित किया जा रहा है। इस वजह से इन जातियों के लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है। शासन ने इस पर सख्ती करते हुए इस बात का शासनादेश जारी कर दिया कि अब इस जाति को प्रमाणपत्र जारी करने में किसी प्रकार की हीला हवाली न की जाये।