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पं. दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र बने हरीश रावत के सलाहकार

cs upadhyay-harish rawat

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बहुचर्चित रामपुर तिराहा कांड की पुनर्निरीक्षण-याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्वीकार कराने वाले एवं हिंदी माध्यम से एल-एम.एम. उत्तीर्ण करने वाले पहले भारतीय छात्र चंद्रशेखर पंडित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय को केंद्रीय मंत्री एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत ने अपना सलाहकार नियुक्त किया है।

अपने फेसबुक पर इसकी जानकारी देते हुए श्री रावत ने लिखा है कि  राज्य के अंदर कानून व्यवस्था को लेकर भी दिक्कतें और चुनौतियां हैं, उनमें मार्गदर्शन के  लिए सहयोगी के रूप में दीनदयाल उपाध्याय जी के प्रपौत्र चंद्रशेखर उपाध्याय को नियुक्त करने का मैंने फैसला  किया और उनसे  उपरोक्त दायित्व को स्वीकार करने का आग्रह किया।

मुझे खुशी है कि उन्होंने मेरा निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। उनको मैंने प्रथम दायित्व के रूप में मुजफ्फरनगर कांड में जिस तरीके से अपराधी निरंतर कानून की प्रक्रियाओं से बचकर निकल रहे हैं, उसमें जिन लोगों ने उत्तराखंड के लिए सर्वोच्च-बलिदान दिया, न्याय प्राप्त कर सकें, उसमें वे कुछ मार्ग सुझाएं ताकि उनके अनुसार आने वाले समय में हम कदम उठा सकें।

उत्तर प्रदेश में सेशन्स कोर्ट में जज रहे श्री उपाध्याय को कांग्रेस के मुख्यमंत्री पं. नारायण दत्त तिवारी ने  राज्य का एडीशनल एडवोकेट जनरल नियुक्त किया था।  वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे जनरल खंडूरी एवं निशंक  के ओएसडी(न्यायिक,विधायी एवं संसदीय-कार्य) भी रहे हैं।  उत्तराखंड राज्य विधि -आयोग में प्रमुख सचिव विधायी के समकक्ष सदस्य पद पर कार्य किया है।

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नैनीताल हाईकोर्ट में हिंदी में  मुकदमों की कार्यवाही शुरू कराने वाले और  अभी इसके लिए संघर्षरत श्री उपाध्याय श्री रावत को अवैतनिक सेवाएं देंगे।

श्री हरीश रावत जी,

सादर  वन्दे मातरम्।

अपने सलाहकार के दायित्व से उत्तराखंड के बलिदानियों को ‘पूर्ण -न्याय’ दिलाने का जो  गुरुतर कार्य, मुझे सौंपा है, आपके कुशल-नेतृत्व में पूरा राज्य और मैं पूरी उम्मीद तक जाएंगे। परस्पर दो वैचारिक -ध्रुवों की असमानता एवं विभेद को अस्वीकार करते हुए आपने उत्तराखंड के हित में  जो साहसिक निर्णय लिया है, वह अभिनंदनीय है, स्वागत योग्य है।  इसके परिणाम देखने को मिलेंगे। आपका आभार।

– चंद्रशेखर पंडित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय

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