नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 13 दिनों से मोदी सरकार के खिलाफ हजारों किसानों ने जंग छेड़ रखी है। किसान नए कृषि कानून को खत्म करने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। आंदोलनरत किसानों का कहना है कि यह कानून उनके जीवन को तहस-नहस कर देगा
जिस कानून को लेकर हंगामा बरपा है। 8 दिसंबर को पूरा भारत बंद की आवाज किसानों ने लगाई है। दो दर्जन राजनीतिक पार्टियां किसानों के समर्थन का दावा कर रही है। आंदोलनकारी किसानों का दावा है कि अगर कानून वापस नहीं हुआ तो उनकी फसलें लागत से कम दामों पर बिकेंगे। जिन कानूनों को लेकर किसानों में डर व्याप्त है। आइए जानते हैं कि आखिर वह कानून कौन-कौन से हैं।
केंद्र सरकार ने जून महीने में एक अध्यादेश के जरिए तीन नए कानून पारित किए थे। जिसमें द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कमर्स, फार्मर एग्रीमेंट ऑन प्राइस इंश्योरेंस एंड फार्म सर्विस और एसएनसीएल कमोडिटीज कानून 2020 शामिल हैं।
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द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कमर्स कानून के तहत किसान कृषि उत्पादन विपणन समिति की मंडियों से बाहर बिना टैक्स के अपने अनाज व अन्य उपज बेंच सकता है। फार्मर एग्रीमेंट ऑन प्राइस इंश्योरेंस एंड फार्म सर्विस इस कानून के तहत किसान अनुबंध वाली खेती कर सकता है तथा अपने उपज की मार्केटिंग भी कर सकता है। एसएंशीएल कमोडिटीज कानून के तहत किसान के उत्पादन को नियंत्रण मुक्त कर दिया गया है। विशेष परिस्थितियों में ही नियंत्रण रखा जाएगा।
सरकार के मुताबिक नए कृषि कानूनों से किसानों को लाभ मिलेगा। उन्हें अपनी उपज की अच्छी कीमत मिलेगी। इसके अलावा कृषि में निजी निवेश को बढ़ावा भी मिलेगा। वही इन सब के बीच किसानों को यह डर है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की जो व्यवस्था थी। उसका महत्व ना के बराबर रह जाएगा। जिससे उनके फसलों की सही कीमत भी नहीं मिलेगी।