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नम आंखों से दी शहीद दरोगा को अंतिम विदाई, पुलिस अफसरों ने अर्थी को दिया कंधा

Last farewell to martyred inspector

Last farewell to martyred inspector

आगरा के थाना खंदौली में शहीद दरोगा प्रशांत यादव को पुलिस लाइन में अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान पुलिस अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे। दरोगा प्रशांत यादव की बुधवार शाम को खंदौली के नहरा गांव में हत्या कर दी गई थी। गुरुवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद दरोगा के पार्थिव शरीर को पुलिस लाइन लाया गया। इस दौरान एडीजी जोन राजीव कृष्ण, आईजी ए सतीश गणेश और एसएसपी बबलू कुमार सहित जिले के एसपी, सीओ सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे। दरोगा को नम आंखों के साथ अंतिम विदाई दी गई।  अधिकारियों ने अर्थी को कंधा दिया। इस दौरान परिवार के लोग मौजूद रहे।

बुलंंदशहर के छतारी के रहने वाले प्रशांत कुमार यादव वर्ष 2011 बैच के सिपाही थे। वर्ष 2015 में दरोगा की सीधी भर्ती निकलने पर प्रशांत परीक्षा में बैठ गए थे। प्रशांत भर्ती परीक्षा में सफल होने के बाद वह सीधे दरोगा बने थे। प्रशिक्षण के दौरान भर्ती पर स्टे लग गया था। इस कारण उन्हें आठ महीने तक घर पर रहना पड़ा। वह साथियों के संपर्क में रहते थे।

उन्होंने सभी को प्रतीक्षा रखने के लिए कहा था। अगस्त 2017 में प्रशांत यादव और उनके बैच के 150 दरोगा को पहली तैनाती आगरा में मिली थी। कुछ समय पहले थाना हरीपर्वत में तैनात थे। उनको पालीवाल चौकी प्रभारी बनाया गया था। उनका तबादला खंदौली हो गया था। उनके साथियों ने बताया कि दरोगा प्रशांत अपने बैच के सभी साथियों में अलग स्वभाव के थे। हमेशा शांत रहते थे। वह लोगों के बीच घुलमिलकर समस्या का समाधान करते थे।

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मूलरूप से बुलंदशहर के रहने वाले प्रशांत यादव के पिता रमेश यादव का ट्रांसपोर्ट का काम था। प्रशांत जब आठ साल के थे, तब पिता की मौत हो गई। मां गायत्री और बहन अलका की जिम्मेदारी उन पर ही थी। दरोगा बनने के बाद वह सभी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनकी शादी रेनू से हुई थी। उनका बेटा चार साल का पार्थ है। आगरा में तैनाती मिलने के बाद वह आवास विकास कालोनी में किराये पर रह रहे थे।

बुधवार शाम को पुलिस ने परिवार के लोगों को बताया। तभी मां, पत्नी बेटे के साथ पहुंची। पत्नी रेनू बेहोश हो गई और मां गायत्री बेसुध हो गईं। मां रोये जा रही थीँ। वह बार-बार एक ही बात कह रही थी बेटे तुम कहां चले गए, तुम ही तो मेरा सहारा थे। अब किसे बेटा कहकर पुकारूंगी। वहीं पत्नी रेेेनू जब भी होश में आती, रोने लगती। उन्हें महिला पुलिसकर्मी किसी तरह संभाल रही थीं। बेटा पार्थ समझ नहीं पा रहा था आखिर पिता कहां चले गए हैं। वह मां और दादी के पास जाकर खुद भी रोने लगता। यह देखकर सीएचसी पर मौजूद पुलिसकर्मियों की आंखें भी नम हो गईं।  परिजनों ने बताया कि प्रशांत ने दोपहर में ही पत्नी और मां से बात की थी। रात में समय पर आने के लिए कहा था। बेटा पिता को याद करे जा रहा था।

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