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कोरोना पर दवाई और कड़ाई का मतलब

second phase of corona

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सियाराम पांडे ‘शांत’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर की है। साथ ही मुख्यमंत्रियों को  जांच, पहचान और उपचार की नसीहत दी है। उन्होंने वैक्सीन की बर्बादी न हो, इस पर नजर रखनेकी भी नसीहत दी है। साथ ही इस बात के भी निर्देश दिए हैं कि जरूरत पड़ने पर कड़े निर्णय भी लिए जा सकते हैं। उन्होंने इवाई और कड़ाई की जरूरत पर भी बल दिया है। यह और बात है कि उनकी पहल का ममता बनर्जी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने वर्चुअल मीटिंग में भाग नहीं लिया और इस मुददे पर भी राजनीति गरमाने की कोशिश की। यह स्थिति ठीक नहीं है। आपदाकाल में तो राजनीति अच्छी नहीं है। कोरोना फिर तेजी से पैर पसार रहा है। कई राज्यों में इसकी दूसरी लहर आयी हुई है और महाराष्ट व पंजाब में तो लगता है, ये दूसरी लहर पहली लहर से भी ज्यादा तेज है। यह अलग बात है कि अभी तक पहली लहर जैसी दहशत नहीं है। क्योंकि लोगों ने शायद अब कोरोना के साथ ही रहना स्वीकार कर लिया है। इस वजह से जैसी दहशत पिछले साल अप्रैल मई में थी, वह दहशत अभी तक देखने को नहीं मिल रही। लगातार एक साल से कोरोना के चक्र व्यूह में फंसे होने के चलते अब इसके प्रति लोगों में वह दहशत नहीं रही, जैसे पहले होती थी। लेकिन लोगों ने भले कोरोना के साथ रहना सीख लिया हो, लेकिन जब एक स्थिति से ज्यादा केस बढ़ेंगे तो निश्चित रूप से इसकी परिणति लॉकडाउन में होगी।

इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय तक तो केवल महाराष्ट के नागपुर सहित कुछ शहर में ही 31 मार्च 2021 तक लॉकडाउन लगाया है, लेकिन मुंबई सहित कई बड़े शहरों में लॉकडाउन लगाये जाने के आसार बन रहे हैं। इस समय मध्य भारत और पंजाब तथा तमिलनाडु और कर्नाटक सहित 20 से ज्यादा शहरों में रात का कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही मध्य प्रदेश से लेकर महाराष्टÑ तक की सरकार कह रही है, अगर लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते नजर आएंगे तो सख्त लॉकडाउन की स्थितियां बन जाएंगी।

इस समय जब मैं ये पंक्तियां लिख रही हूं ठीक उसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर के मुख्यमंत्रियों के साथ आॅनलाइन विचार विमर्श कर कोरोना की दूसरी लहर की रोकथाम के उपायों पर चर्चा की और वैक्सीनेशन को तेज करने के साथ ही दवाई के साथ कोरोना प्रोटोकॉल के भी कड़ाई से पालन कराने पर जोर दिया। विचार इस बात पर हो रहा है कि कोरोना की इस दूसरी लहर के साथ कैसे निपटा जाए और साथ ही अब गंभीरता से इस बात पर भी फोकस किया जा रहा है कि आखिर इस दूसरी लहर का कारण क्या है?  मालूम हो कि प्रधानमंत्री मोदी कई महीनों के बाद देश के तमाम मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना के संबंध में साझा विचार विमर्श किया है। हालांकि अब के पहले भी कई बार कोरोना के नये बढ़ते मामलों को दूसरी लहर से संबोधित किया गया था, लेकिन लगता है वह पहली लहर के हिस्से थे, दूसरी लहर अब आयी है। खासकर महराष्ट में तो यह लहर जितनी तीव्रता से आयी है, उस रफ्तार में तो इसने पहली लहर  को भी मात दे रही हैं। सवाल है आखिर यह दूसरी लहर क्यों आयी है, जबकि पूरी दुनिया में यह माना जा रहा है कि भारत में बहुत सख्त और कारगर लॉकडाउन लगाया गया था, जिससे हमें इससे काफी फायदा हुआ है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत की जितनी विशाल आबादी है, उसको देखते हुए अगर हम भारतीय कोरोना को भगवान भरोसे छोड़ देते, तो शायद हालत पहले ही बहुत बुरी तरह से बिगड़ गई होती। लेकिन हमने लोकतंत्र में आशा दिखायी और सख्त लॉकडाउन का रास्ता चुनते हुए, कोरोना को फैलने से रोका। मगर लगता है अंतिम दिनों में हम ढीले पड़ गये या अपनी मेहनत से कोरोना को जिस तरह से रोक रखा था, उसके प्रति उदासीन या लापरवाह हो गये। जिस कारण कोरोना को दूसरी पींग भरने का अच्छा खासा मौका मिल गया। कोरोना की इस दूसरी तेज लहर के पीछे वैज्ञानिकों को एक दूसरा कारण यह भी लग रहा है कि कोरोना के जो बिल्कुल हाल में स्ट्रेन सामने आये हैं, वो पहले से ज्यादा जटिल और ताकतवर हैं। वो बिना मौका दिये चुपचाप संक्र मित को ज्यादा ऊर्जा के साथ दबोचता है। क्योंकि हम पिछले कुछ महीनों में काफी बेफिक्र हो गये थे, ऐसे में हमारी इस बेफिक्री का भी असर इस दूसरी लहर में शामिल है। लेकिन जो तीसरा सबसे बड़ा कारण नजर आ रहा है, वह काफी डराने वाला है। कुछ लोगों को आशंका है कि कोरोना का नया वायरस पुराने वायरस से भिन्न हो चुका है, इसलिए इस पर वैक्सीन का वैसा असर नहीं हो रहा, जैसे असर की उम्मीद की जा रही थी।

एक कारण यह भी है कि पिछले एक साल से जिस तरह लगभग पूरा देश कोरोना के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है, उससे लोगों की चिंता का ग्रॉफ बढ़ना स्वाभाविक है।

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