नई दिल्ली। अगर आप सोचते हैं कि दुनिया में मददगार की कमी हो गई है तो थोड़ा रुकिए। आप जो स्टोरी पढ़ने जा रहे हैं, उसे पढ़ आपको न इस दुनिया से प्यार हो जाएगा बल्कि भरोसा भी बढ़ेगा। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में अनु ने बताया, ‘पिछले सोमवार को सुबह करीब 9.50 पर वह स्कूटर से अपने कार्यालय जा रही थी। वहां सफाई कर्मचारी कूड़ा इकट्ठा कर रहे थे और उन्होंने ही अनु को नाले में पड़े उस नवजात के बारे में बताया।
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उसके बाद वह नाले करीब गई जहां उसने देखा कि नवजात एक पैर फेंका। मैंने तुरंत उसे निकाला, अपनी बहन को बुलाया और उसे नजदीक के एक अस्पताल ले गई। हालांकि, वहां के डॉक्टरों के पास उसके इलाज की सुविधा नहीं थी।’ कहानी के केंद्र में एक युवा लड़की है। 23 साल की इंश्योरेंस एजेंट अनु ने तुरंत कार्रवाई नहीं की होती तो आज 3 दिन की मासूम इस दुनिया में नहीं होती। इस भावुक कहानी में कई किरदार हैं।
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पूर्वी दिल्ली एक नाले के पास से गुजर रही अनु काम के लिए अपने आफिस जा रही थी। तभी उसे कपड़ों में लिपटी और नाले में फेंकी एक नवजात पर नजर पड़ती है। ठंड के कारण लगभग जम चुकी उस नवजात को अनु भागकर पास के एक अस्पताल ले जाती है। डॉक्टरों की कोशिश से फिलहाल नवजात खतरे से बाहर है। चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (CWC) जल्द ही नवजात बच्ची की कस्टडी लेगी। इस बीच, पुलिस ने नवजात की मां की पहचान कर उसके खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
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अनु ने कहा, ‘यह करिश्मा से कम नहीं है कि नवजात जिंदा है। लेकिन उसपर तुरंत ध्यान देने की जरूरत थी। अगला अस्पताल 15 मिनट की दूरी पर था। मैंने फैसला किया कि मैं उल्टी दिशा में गाड़ी चलाऊंगी ताकि मैं यात्रा की दूरी कम कर पाऊं। ऐसा करके में मैं महज 7 मिनट में अस्पताल पहुंच गई। जब मैंने डॉक्टरों को बताया कि मैंने इस नवजात को नाले में पाया था, उसके बाद उन्होंने तुरंत उसका इलाज शुरू कर दिया।’