कांग्रेस ने कहा है कि सरकार कृषि संबंधी विधेयकों के पारित होने से किसानों की नाराजगी के कारण दबाव में आ गयी है और किसानों के गुस्से को देखते हुए उसने कम ही सही लेकिन आनन-फानन में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी घोषित किया है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला, पार्टी के लोकसभा सदस्य डॉ. अमर सिंह, गुरजीत सिंह औजला तथा डॉ. अमी याज्ञनिक और जसबीर सिंह गिल ने मंगलवार को यहां संसद भवन के बाहर विजय चौक पर संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन से डर गयी है। उसे इसका एहसास शायद पहले नहीं था इसलिए वह किसान विरोधी विधेयक लेकर आयी है।
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उन्होंने कहा “किसान आंदोलन के चलते कल मोदी सरकार ने आनन-फानन में रबी फसलों, विशेषतः गेहूं का एमएसपी घोषित किया है। एक बार फिर साफ हो गया है कि किसानों का आंदोलन और मोदी सरकार पर खेती को खत्म करने के षडयंत्र का इल्ज़ाम बिल्कुल सही है।”
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अब मोदी सरकार एमएसपी की प्रणाली को ही फसल की लागत, किसान परिवार के सदस्यों की मजदूरी, किसान की जमीन का किराया सब कुछ खत्म करने में लगी है। उन्होंने कहा कि एमएसपी खत्म करने की भाजपाई साजिश बेनकाब हो गयी है और गेहूं का समर्थन मूल्य मात्र 2.6 प्रतिशत बढाकर उसका किसानों को लाभ देने का वादा भी जुमला बन गया है।
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उन्होंने कहा कि कृषि विरोधी तीन काले कानूनों ने मोदी सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मुखौटे को उतार दिया है और अब साबित हो गया है कि उसका मूलमंत्र है – किसानों को मात, पूंजीपतियों का साथ,खेत मजदूरों का शोषण पूंजीपतियों का पोषण, गरीबों का दमन पूंजीपतियों को नमन बन गया है।