बजरंगी भाईजान’ के निर्देशक कबीर खान का कहना है कि उनके लिए मुगलों को बदनाम करने वाली फिल्में देखना काफी निराश करने वाला है. उन्होंने ये भी कहा कि इस तरह की फिल्में सिर्फ ‘वर्तमान लोकप्रिय सोच और विचारों’ को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हैं और इनका कोई ‘एतिहासिक साक्ष्य’ नहीं है. ‘न्यूयॉर्क’ और ‘ट्यूबलाइट’ जैसी फिल्में बना चुके कबीर खान का कहना है कि ‘मुगल असली राष्ट्र-निर्माता’ थे
एक वेब पोर्टल को दिए अपने ताजा इंटरव्यू में कबीर खान ने कहा, ‘मुझे इस तरह की फिल्मों से बहुत परेशानी है और जो बात मुझे सबसे ज्यादा परेशान करती है वह है ये फिल्में सिर्फ इस समय पॉपुलर सोच को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं. मैं इस बात को समझता हूं कि जब एक फिल्ममेकर रिसर्च करता है और अपनी फिल्म के जरिए अपना एक पॉइंट रखना चाहता है… बेशक किसी भी चीज को दिखाने के अलग-अलग नजरिए हो सकते हैं.
अगर आप मुगलों को गलत दिखाना चाहते हैं, प्लीज उसे किसी रिसर्च के आधार पर करिए और बताइए कि आखिर ऐसा क्यों है… समझाइए कि वो आखिर विलेन क्यों हैं और आप ऐसा क्यों सोच रहे हैं. क्योंकि अगर आप इतिहास सच में पढ़ेंगे तो आपके लिए ये समझना मुश्किल होगा कि आखिर उन्हें विलेन क्यों बनाया जा रहा है.
मुझे लगता है कि वह तो असली राष्ट्र-निर्माता थे और उन्हें हत्यारे के तौर पर दिखाना या गलत दिखाना… पर आखिर किस आधार पर. कृपया इतिहास में ऐसे साक्ष्य दिखाइए तो. इसपर एक खुली बहस होनी चाहिए, सिर्फ इसलिए नहीं कि क्योंकि आपको लगता है कि ये एक ‘पॉपुलर नरेटिव’ है.’
कबीर खान ने आगे कहा, ‘आज से सबसे आसान तरीका है कि मुगलों को या अलग-अलग मुस्लिम शासकों को बुरे तौर पर दिखा दीजिए और उसे अपने पहले से तैयार किए हुए विचारों में सेट कर लीजिए, ये सब बहुत परेशान करने वाला है. दुर्भाग्यवश मैं ऐसी फिल्मों की इज्जत नहीं कर पाता. हालांकि ये मेरे निजी विचार हैं और मैं एक बहुत बड़े समुदाय के लिए नहीं बोल सकता, लेकिन हां मैं फिल्मों में इस तरह की चीजों से परेशान हूं.’
बता दें कि पिछले कुछ समय में बनी कई फिल्मों जैसे ‘पद्मावत’, ‘तान्हाजी’, ‘पानीपत’ आदि एतिहासिक साक्ष्यों को लेकर सवालों के घेरे में है. यहां तक की ‘तान्हाजी’ में विलेन का किरदार निभाने वाले सैफ अली खान ने भी कहा था कि जो फिल्म में दिखाया गया वह सारे तथ्य सही नहीं हैं.