नयी दिल्ली| केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निदेशक ने शुक्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मुख्य उद्देश्य नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ( National Curriculum Framework ) के जरिये कार्यरूप लेगा। नई नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार का प्रस्ताव किया गया है। सीबीएसई के निदेशक विश्वजीत साहा ने पीएचडी चैम्बर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम में कहा, ”नीति में विभिन्न सिद्धांतों एवं बहु विषय पहल के समागम की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क नीति में सुझाये सुधारों को लागू करने का खाका प्रदान करेगा।
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उन्होंने कहा, ”नीति का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा के जरिये कार्यरूप लेगा जिसके लिये अधिक से अधिक सहभागिता वाले कदमों की जरूरत है।” साहा ने कहा कि प्रतिस्पर्धी शिक्षा और शिक्षण परिणाम के लिये जरूरी प्रशिक्षण सभी पक्षकारों की प्रगतिशील सहभागिता से हासिल की जा सकती है।
सीबीएसई के निदेशक ने कहा, ”प्रतिस्पर्धी शिक्षा और शिक्षण परिणाम के लिये जरूरी प्रशिक्षण के बारे में चर्चा हो सकती है लेकिन एक बार हमने निर्णय कर लिया तब हम इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं। यह सभी पक्षकारों की प्रगतिशील सहभागिता से हासिल की जा सकती है। यह अग्रगामी नीति है।”
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दी जिसने 1986 में लागू 34 वर्ष पुरानी शिक्षा नीति का स्थान लिया है। इसके माध्यम से स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा तक रूपांतरकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त हुआ है ताकि भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाया जा सके।
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इसमें स्कूली शिक्षा में सुधार, पांचवी कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा, 3 या 4 वर्ष का स्नातक कोर्स चुनने का विकल्प, डिग्री कोर्स में बहु स्तरीय प्रवेश या निकासी की व्यवस्था, उच्च शिक्षा में एकल नियामक, फीस तय किये जाने सहित अनेकों सुधारों की बात कही गई है।