उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराए जाने के खुलासे के बाद हड़कंप मचा हुआ है। एटीएस और दूसरी जांच ऐजेन्सियां मामले की जांच पड़ताल में जुटी हैं। वहीं, अब इस मामले में इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एक विवादित प्रोफेसर का नाम भी सामने आया है।
इलाहाबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मोहमम्द शाहिद पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने कानपुर की एमबीए की छात्रा का धर्मांतरण कराया है। आरोप है कि उनके सम्पर्क में आने के बाद ही उसका झुकाव इस्लाम की तरफ हुआ और प्रोफेसर ने इस तरह से उसका ब्रेनवॉश किया कि उसने न सिर्फ अपना धर्म बदलकर इस्लाम को अपना लिया, बल्कि धर्म परिवर्तन के बाद अपने परिवार से हमेशा के लिए नाता भी तोड़ लिया।
कानपुर के घाटमपुर इलाके के बीहूपुर पहवा गांव की रहने वाली ऋचा देवी प्रयागराज के एक संस्थान से एमबीए की पढ़ाई कर रही थी। एमबीए की पढ़ाई के दौरान ही वह प्रयागराज में ही रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कर रही थी। आरोप है कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के सिलसिले में ही वह इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद के संपर्क में आई।
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जांच एजेंसियों को साल 2018 में उमर गौतम के संगठन द्वारा धर्म परिवर्तन कराई गई लड़कियों की जो लिस्ट हाथ लगी है, उसमें ऋचा देवी का नाम बारहवें नंबर पर है। प्रयागराज में ब्रेनवॉश के बाद ही ऋचा ने अपना धर्म बदल लिया और इस्लाम कबूल कर लिया था। धर्म बदलने के बाद ऋचा माहिम अली बन गई है। ऋचा के बारे में जानकारी मिली है कि इस्लाम कबूल करने के बाद वह नोएडा शिफ्ट हो गई है और उसने अपने परिवार से सभी रिश्ते पूरी तरह खत्म कर दिए हैं। जांच एजेंसियों को यह सूचना भी मिली है कि ऋचा से माहिम बनी एमबीए पास आउट युवती नोएडा की ही एक बड़ी कंपनी में अच्छे ओहदे पर काम करती है।
चर्चाओं के मुताबिक, वह अपनी सैलरी से हर महीने पचहत्तर हजार रुपये एक इस्लामिक संस्था को दान भी देती है। आरोप यह भी हैं कि माहिम अब दूसरी लड़कियों का ब्रेनवॉश कर उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए प्रेरित करती है। ऋचा देवी उर्फ माहिम अली और इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद के बारे में यह सारी जानकारियां कानपुर में रहने वाले ऋचा के परिजनों और करीबी रिश्तेदारों ने जांच एजेंसियों को दी है।
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बहरहाल, आरोपी प्रोफेसर भी इस खुलासे के बाद एटीएस और दूसरी एजेंसियों के निशाने पर हैं। प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना साद का भी करीबी भी बताया जाता है। बीते साल कोरोना महामारी फैलने पर विदेशी जमातियों को पनाह देने के मामले में भी यह प्रोफेसर करीब डेढ़ माह तक जेल की हवा भी खा चुके हैं। आरोपी प्रोफेसर का परिवार प्रयागराज के तेलियरगंज के मेंहदौरी कालोनी में रहता है। लेकिन धर्म परिवर्तन करने वाली छात्रा के परिवार वालों और दूसरे करीबियों के बयान के आधार पर प्रोफेसर का नाम धर्मपरिवर्तन मामले में सामने आने के बाद से आरोपी प्रोफेसर शाहिद और उनका परिवार घर छोड़कर फरार है। प्रोफेसर और उनके परिवार के लोगों के मोबाइल फोन भी ज्यादातर वक्त बंद ही रहते हैं। आशंका जताई जा रही है कि एटीएस और दूसरी जांच एजेंसियां जल्द ही प्रोफेसर शाहिद से पूछताछ कर उन पर शिकंजा कस सकती हैं।
हालांकि, आरोपी प्रोफेसर के पड़ोसियों ने बताया है कि प्रोफेसर कई दिनों से शहर से बाहर हैं और हो सकता है कि अपने गांव चले गये हों। हांलाकि, किसी भी व्यक्ति ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से साफ तौर पर इंकार कर दिया। प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद पिछले साल सुर्खियों में तब आये थे जबकि दिल्ली में तबलीगी जमात में शामिल होने के बाद प्रयागराज लौटे और बगैर कोविड जांच कराये उन्होंने यूनिवर्सिटी ज्वाइन की और परीक्षायें करायी। इस दौरान वे साथ प्रोफेसरों और छात्र-छात्राओं से भी मिले। लेकिन मामला तब ज्यादा बिगड़ गया था जबकि उनका नाम टूरिस्ट बीजा पर भारत आये सात इंडोनेशियाई तबलीगी जमातियों को शाहगंज के अब्दुल्लाह मस्जिद में पनाह देने के मामले से जुड़ा। और इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी थी।
प्रोफेसर पर कोरोना की महामारी फैलाने के साथ ही विदेशियों को मस्जिद में पनाह देने की जानकारी प्रशासन से छिपाने का आरोप लगा था। और उन्हें भी विदेशी जमातियों के साथ पुलिस ने 21 अप्रैल 2020 को जेल भेज दिया था। हालांकि, इस मामले में करीब डेढ़ माह के बाद दो जून 2020 को प्रोफेसर को जिला कोर्ट से जमानत मिल गई थी। गौरतलब है कि इलाहाबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को जेल भेजे जाने के बाद इलाहाबाद विश्व विद्यालय प्रशासन ने भी 24 अप्रैल 2020 को उन्हें सस्पेंड कर दिया था।