लखनऊ। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक एसएन पांडेय (SN Pandey) से राज्य के मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार का प्रभार छीन लिया गया है। उनकी जगह अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जगमोहन सिंह को यह जिम्मेदारी दी गई है। एसएन पांडेय वहीं अधिकारी हैं, जिन्होंने यूपी के मदरसों में राष्ट्रगान अनिवार्य करने का आदेश दिया था।
यूपी मदरसा शिक्षा परिषद ने 24 मार्च को बैठक की थी। इस बैठक में ही मदरसों में राष्ट्रगान अनिवार्य करने का फैसला लिया गया था। 20 मार्च से लेकर 11 मई तक मदरसों में छुट्टियां होने के कारण यह फैसला लागू नहीं हो सका। 12 मई को मदरसे खुलने पर सभी मदरसों में आदेश लागू हुआ हो गया था।
रजिस्ट्रार द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया था कि अनुदानित और गैर अनुदानित सभी मदरसों में सत्र की शुरुआत हो रही है। सभी में राष्ट्रगान का अनिवार्य रूप से गायन किया जाएगा।
बोर्ड मीटिंग में लिया गया था ये फैसला
मदरसों में राष्ट्रगान का फैसला UP मदरसा शिक्षा परिषद की बैठक में 24 मार्च को लिया गया था। इसे गुरुवार को रजिस्ट्रार निरीक्षक एसएन पांडेय ( SN Pandey) ने जारी किया है। उन्होंने बताया कि सत्र 2022-23 के स्कूल खुलने पर ही राष्ट्रगान कराने का फैसला किया गया था। मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं शुरू होने पर यह फैसला लागू कर दिया जाएगा।
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मुस्लिम धर्म गुरुओं ने जताई थी नाराजगी आदेश आने के बाद लखनऊ के दारुल उलूम फरंगी महली के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा था कि- ‘मदरसे में राष्ट्रगान अनिवार्य करने पर कोई भी आपत्ति नहीं है, लेकिन बार-बार मदरसों को टारगेट किया जाता है। पहले कहा गया कि NCERT की बुक पढ़ाई जाएगी, लेकिन कोई ऐसी बुक नहीं पढ़ाई जा रही है। न ही मदरसों को हाइटेक किए जाने को लेकर कोई भी संसाधन किए जा रहे हैं।
इस ऑर्डर से यही सवाल उठता है कि मदरसों में राष्ट्रगान नहीं होता है, न ही कोई पढ़ाई होती है। ‘वहीं, बरेली में तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने कहा था कि विशेष मौके जैसे 26 जनवरी , 15 अगस्त पर राष्ट्रगान होता है। मगर यह हर रोज लागू नहीं किया जाना चाहिए। फिर भी हमे कोई एतराज नहीं है। हम पढ़ेंगे। हुकूमत को लगता है कि देश से मोहब्बत का इजहार इसी तरह से किया जाता है तो हमें एतराज नहीं है।