देहरादून। मुख्यमंत्री (CM Dhami) ने कहा कि देश में जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ईंधन की ओर बढ़ने की यात्रा में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान का अहम योगदान रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदूषण की रोकथाम और प्रबंधन क्षेत्रों में भी संस्थान के वैज्ञानिक तेजी से कार्य करेंगे।
गुरुवार को आईआईपी मोहकमपुर में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के 63वें स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिभाग करते हुए यह बातें कहीं। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि आज बैसाखी, भगवान महावीर जयंती, डा.भीमराव अम्बेडकर जयंती और सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) स्थापना दिवस है। इस दौरान उन्होंने सर्वप्रथम भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने आईआईपी द्वारा किये जा रहे विभिन्न कार्यों की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
शोध के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां
मुख्यमंत्री ने कहा कि आईआईपी के वैज्ञानिकों ने शोध के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। जिसमें प्लास्टिक से डीजल बनाने और जहाजों के लिए बायोफ्यूल बनाने जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां शामिल हैं।
आईआईपी वैश्विक महामारी के दौरान भगीरथ प्रयास और सेवा से जन-जन के लिए उपयोगी कार्यों सहित अभिनव अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के लाभ का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। संस्थान ने पूरे भारतवर्ष में 108 ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए हैं, जिसमें उत्तराखंड वासियों की सेवा में अल्मोड़ा, चमोली, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल,रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल और ऊधमसिंह नगर सहित 08 संयंत्र स्थापित किए गए हैं। जिससे इन जनपदों के 100 से अधिक चिकित्सालय लाभान्वित हुए।
सीएम धामी ने महावीर स्वामी एवं बाबा साहब को अर्पित की श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के तीव्र विकास के लिए संस्थानों एवं विभागों की भूमिका भी अहम हो जाती है। आईआईपी राज्य के 10 सीमान्त विकासखण्डों को एडाप्ट कर उनके विकास में योगदान के बारे में सोचने को कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आईआईपी देहरादून देश का एक मात्र बायोजेट ईंधन निर्माता है। वर्ष 2018 में देहरादून से दिल्ली तक की भारत की पहली बायोजेट ईंधन प्रचालित उड़ान में इसी बायोजेट ईंधन का प्रयोग किया गया था। पांच केन्दीय मंत्रियों की ओर से इस बायोजेट ईंधन उड़ान के दिल्ली आगमन पर स्वागत किया गया। उत्तराखंड के युवाओं की कौशल वृद्धि एवं आजीविका के बेहतर अवसर के लिए संस्थान की ओर से अनेक कार्य किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि आईआईपी के वैज्ञानिक वानाग्नि, फलों-सब्जियों के भंडारण एवं परिवहन और वाहनों एवं डीजल जेनसेट से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम एवं प्रबंधन क्षेत्रों में भी तेजी से कार्य करेंगे।
इस मौके पर निदेशक, सीएसआईआर-आईआईपी डा.अंजन रे, निदेशक आर एंड डीआईओसीएल डा.एसएसवी रामकुमार, पूर्णिमा अरोड़ा, दुर्गेश पंत, सोमेश्वर पांडेय एवं संस्थान के वैज्ञानिक, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।