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भगवान कृष्ण के जन्म का रहस्य, जानिए आधी रात में कान्हा ने क्यों लिया था अवतार

Janmashtami

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30 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था। अष्टमी तिथि को रात्रिकाल अवतार लेने का प्रमुख कारण उनका चंद्रवंशी होना है। श्रीकृष्ण चंद्रवंशी, चंद्रदेव उनके पूर्वज और बुध चंद्रमा के पुत्र हैं। इसी कारण चंद्रवंश में पुत्रवत जन्म लेने के लिए कृष्ण ने बुधवार का दिन चुना।

मथुरा के पंडित अमित शर्मा ने बताया कि रोहिणी चंद्रमा की प्रिय पत्नी और नक्षत्र हैं, इसी कारण कृष्ण रोहिणी नक्षत्र में जन्मे। अष्टमी तिथि शक्ति का प्रतीक है, कृष्ण शक्तिसंपन्न, स्वमंभू व परब्रह्म है इसीलिए वो अष्टमी को अवतरित हुए।

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कृष्ण के रात्रिकाल में जन्म लेने का कारण ये है कि चंद्रमा रात्रि में निकलता है और उन्होंने अपने पूर्वज की उपस्थिति में जन्म लिया।

पूर्वज चंद्रदेव की भी अभिलाषा थी कि श्रीहरि विष्णु मेरे कुल में कृष्ण रूप में जन्म ले रहे हो तो मैं इसका प्रत्यक्ष दर्शन कर सकूं। पौराणिक धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि कृष्णावतार के समय पृथ्वी से अंतरिक्ष तक समूचा वातावरण सकारात्मक हो गया था।

प्रकृति, पशु पक्षी, देव, ऋषि, किन्नर आदि सभी हर्षित और प्रफुल्लित थे। यानि कृष्ण के जन्म के समय चहुंओर सुरम्य वातावरण बन गया था। धर्मग्रंथों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि श्रीकृष्ण ने योजनाबद्ध रूप से पृथ्वी पर मथुरापुरी में अवतार लिया।

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