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इस जिले के खाण्ड़व वन में स्थित है महाभारत कालीन की गुफा का रहस्य

Writer D by Writer D
14/09/2021
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, धर्म, बागपत
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secret cave

महाभारत कालीन की गुफा का रहस्य

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प्राचीन काल में वर्तमान बागपत के यमुना नदी के क्षेत्र को खाण्ड़व वन के नाम से जाना जाता था। यह वन अत्यन्त विशाल और घना था। इस क्षेत्र में बाघों और जंगली जानवरों की भरमार थी। अनेकों सिद्ध साधु-संत व ऋषि-मुनि यमुना के किनारे कुटी व आश्रम बनाकर तपस्या किया करते थे।

बागपत के खाण्ड़व वन में स्थित प्राचीन रहस्यमयी गुफा के बारे में बताया जाता है कि इस स्थान पर सिद्धियां प्राप्त ऋषि का आश्रम था। दुर्योधन ने पांडवों को वार्णावर्त नगर (वर्तमान बरनावा) के प्रसिद्ध महादेव के मेले में जल्द आग पकड़ने वाली लाख का महल बनाकर जलाकर मारने की योजना बनायी। इस षड़यंत्र का हस्तिनापुर साम्राज्य के मंत्री और पांड़वों के हितैषी विदुर को गुप्तचरों के माध्यम से काफी समय पहले ही पता चल गया।

एक ओर दुर्योधन के कहने पर पुरोचन नाम के मंत्री ने वार्णावर्त नगर में जल्द आग पकड़ने वाली लाख से पांड़वों के रहने के लिये महल बनाने का कार्य शुरू किया तो दूसरी और धने खाण्ड़व वन में ऋषि के आश्रम (वर्तमान में बाबा बुद्धराम की कुटी) से मंत्री विदुर ने एक गुप्त सुरंग, वार्णावर्त नगर में बनाये जा रहे लाख के महल तक बनाने का कार्य अपने एक विश्वस्त को सौंपा, जिसको कारीगर ने समय के अन्दर बना दिया। बताया जाता है कि सारी योजना को इतना गुप्त रखा गया कि विदुर ने पितामह भीष्म तक को भी इसकी भनक नही लगने दी। दुर्योधन के गुप्तचर उस समय के सबसे सफल गुप्तचर माने जाते थे, लेकिन विदुर नीति के आगे उनकी एक भी नही चली।

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बागपत से बरनावा तक बनी इस सुरंग को कुछ स्थानों पर जीवनदायिनी वायु के लिये विशाल और घने जंगल के ऐसे स्थानों पर खोला गया जहां पर दुर्योधन के गुप्तचरों की दृष्टि ना पड़ सके। लाक्षागृह में आग लगने के बाद पांड़व सुरंग से होते हुए बागपत स्थित ऋषि के आश्रम में आकर निकले।

इस स्थान को वर्तमान में बाबा बुद्धराम की कुटी के नाम से जाना-जाता है। सिद्ध साधु-संतो और ऋषि-मुनियों की इस कर्म भूमि पर पूजा-अर्चना करने की विशेष महत्ता बतायी जाती है। पांड़व कुछ समय इसी स्थान पर रहे। जंगली जानवरों से बचने के लिये सुरंग के नीचे ही छोटी-छोटी कोठरियां विदुर के कारीगर द्वारा बनायी गयी।

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जिसमें पांड़व रहा करते थे। इस स्थान के निकट ही एक अत्यंत प्राचीन और आलौकिक शक्तियों से युक्त शिवलिंग था, जहां पर पांड़व और ऋषि-मुनि महादेव की पूजा-अर्चना किया करते थे। यह दिव्य शिवलिंग आज भी मौजूद है। वर्तमान में इस स्थान को पक्का घाट मन्दिर के नाम से जाना जाता है।

Tags: baghpat newsduryodhanhistory factinteresting factmahabharat factmahabharat secret cavesecret cavevidhur
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