आजादी के सिपाही और आजाद हिंद फौज में सिपाही रह चुके धर्मापुर क्षेत्र के किरतापुर गांव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बनारसी राम (93) बुधवार को पंच तत्व में विलीन हो गए। पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका रामघाट पर अंतिम संस्कार किया गया।
अंतिम संस्कार के पूर्व जफराबाद थानाध्यक्ष विजय प्रताप सिंह ने फोर्स के साथ उनके आवास पर गॉड ऑफ ऑनर दिया और तहसीलदार ज्ञानेंद्र सिंह ने उनके शव पर माल्यार्पण किया। मंगलवार की रात जौनपुर के एक निजी चिकित्सालय में निधन हो गया था।
परिजनों के अनुसार, सोमवार को वह घर में गिर कर घायल हो गए थे और उनका उपचार जौनपुर के ही निजी चिकित्सालय में चल रहा था। उनके निधन की खबर सुनते ही उनके घर पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का सैलाब उमड़ा पड़ा।
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1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आजाद हिंद फौज में सिपाहियों की भर्ती हो रही थी। उसी दौरान बनारसी जियावाड़ी स्थित आजाद हिंद फौज के सेंटर पहुंच गए। नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने उन्हें नाबालिग बताते हुए भर्ती करने से मना कर दिया। इस पर वह रोने लगे। उनकी देशभक्ति का जज्बा देखकर नेताजी को तरस आ गया और सेना में भर्ती कर फौजियों की सेवा में लगा दिया।
वर्ष 1945 में जब युद्ध के दौरान बमबारी होने लगी तो इस दौरान बनारसी के सिर पर चोट आ गयी थी। अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और रंगून की टांगो जेल में बंद कर दिया। छह माह तक जेल में बंद रहने के बाद उन्हें रिहा किया गया। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है।