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लखनऊ विश्वविद्यालय को विश्वस्तरीय बनाने के लिए प्रदेश सरकार हरसंभव मदद करेगी : डॉ. शर्मा

dr. dinesh sharma

dr. dinesh sharma

प्रदेश सरकार शैक्षिक सुधारों की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है और नई शिक्षा नीति को प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में लागू किए जाने हेतु आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने यह विचार आज यहां लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा विभाग के अभिनवगुप्त संस्थानम् के नवीन भवन का लोकार्पण एवं ‘संस्कृतिवागंमये शिवत्व-विमर्श और विश्वमंगल’ राष्ट्रीय-संगोष्ठी के शुभारंभ के अवसर पर व्यक्त किया।

03.13 करोड़ रुपए की लागत से बने अभिनव गुप्त संस्थान संस्कृत भाषा के उन्नयन की दिशा में कार्य करेगा। उप मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर वाणिज्य संकाय के नए भवन का लोकार्पण भी किया। वाणिज्य संकाय के नए भवन का नामकरण वाणिज्य विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर के० के० सक्सेना के नाम पर किया गया है। डा0 शर्मा ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय को विश्वस्तरीय बनाने के लिए प्रदेश सरकार हरसंभव मदद करेगी।

विश्वविद्यालय में आधारभूत सुविधाओं के तेजी विकास के लिए प्रदेश सरकार ने हरसंभव सहयोग किया है और आगे भी करती रहेगी, जिससे विद्यार्थियों को गुणवत्ता परक शिक्षा प्रदान की जा सके।

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उप मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार संस्कृत भाषा के उन्नयन के लिए कृत संकल्पित है। संस्कृत विद्यालयों के जीर्णोद्धार हेतु अभियान चलकर उनकी सूची बनाई जा रही है जिससे विद्यालयों की आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जा सके। संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों की वेतन विसंगतियों को जल्द ही दूर किया जाएगा।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या में निजी क्षेत्र के सहयोग से श्रीराम वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना किए जाने का निर्णय लिया गया है जिसमें वैदिक विद्वानों द्वारा पठन-पाठन के प्रोफेशनल कोर्स चलाए जाएंगे, जिससे विद्यार्थियों को पढ़ने के बाद रोजगार तलाशने में कठिनाई ना हो। श्रीराम विश्वविद्यालय में वैदिक संस्कृति के साथ-साथ विभिन्न धर्म शास्त्रों पर शोध का कार्य भी होगा। इसके साथ ही यहां पर ज्योतिर्विज्ञान एवं कर्मकांड का अलग से विभाग भी बनाया जाएगा।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ में संस्कृत निदेशालय की स्थापना की जाएगी।  माध्यमिक शिक्षा के अध्यापकों की भांति संस्कृत विद्यालयों के अध्यापकों को शिक्षक दिवस के अवसर पर सम्मानित किए जाने के साथ ही संस्कृत विद्यालयों के मेधावी विद्यार्थियों को भी माध्यमिक शिक्षा के विद्यार्थियों की तरह सम्मानित किया जा रहा है। संस्कृत विद्यालयों का सत्र नियमित किए जाने तथा संस्कृत बोर्ड की परीक्षाओं को भी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं की तरह से संपादित किए जाने का निर्णय लिया गया है।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ वाचस्पति मिश्र,  अभिनव गुप्त संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रो० बृजेश कुमार शुक्ला, प्रोफेसर नवजीवन रस्तोगी, प्रो बी० के० शुक्ला, डॉ प्रयाग नारायण मिश्र, डॉ विनीत वर्मा, प्रो अरविंद कुमार, प्रो. नीरज जैन सहित अनेक गणमान्य विद्वान, शोध छात्र तथा विश्वविद्यालय के कर्मचारी गण उपस्थित थे।

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