लखनऊ । यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को जानकी नवमी के मौके पर दुनिया भर से संजोई गई रामराज की विरासत का रामायण विश्वमहाकोश के रूप में विमोचन किया।
संत गाडगे प्रेक्षा गृह में आयोजित समारोह में श्री योगी ने कहा कि यह विश्वमहाकोश हमें अयोध्या जाने के लिए बाध्य करेगा। विज्ञान और आध्यात्म के अनछुए पहलुओं से परिचय करायेगा। इस दौरान मुख्यमंत्री भारत और भारतीय संस्कृति पर सवाल खड़े करने वालों पर हमलावर रहे ।
'ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण' प्रकृति और परमात्मा के समन्वय को दर्शाने का कार्य करेगा।
यह विज्ञान और अध्यात्म के अनेक अनछुए पहलुओं को जानने का अवसर भी प्रदान करेगा।
— Yogi Adityanath (मोदी का परिवार) (@myogiadityanath) March 6, 2021
अपनी कंबोडिया यात्रा के दौरान अंकोरवाट मंदिर में मिले एक बौद्ध गाइड का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि मंदिर का गाइड बौद्ध था लेकिन उसको यह भी पता था कि बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हिन्दू धर्म से हुई है। यह बात वह निश्चिंत होकर बोल सकता है। लेकिन भारत में यह बोलेंगे तो बहुत सारे लोगों के सेक्युलरिज्म को खतरा पैदा हो जाएगा । योगी ने कहा ये सेक्युलरिज्म शब्द ही सबसे बड़ा खतरा है भारत की इन समृद्ध परंपराओं को आगे बढ़ाने और वैश्विक मंच पर स्थान दिलाने में। सबसे बड़ी बाधा यही है।
आगामी चुनाव में जनता भाजपा को सबक सिखाने को तैयार: अखिलेश यादव
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें इससे उबर कर बहुत शुद्ध और सात्विक मन से हमें प्रयास करने होंगे। छोटे छोटे जातीय झगड़ों में पड़ कर हमने अपना वैभव नष्ट कर दिया। हमें इन छोटी चीजों से निकल कर विराट रूप में खुद को विश्व के सामने रखना चाहिए। आज प्रधानमंत्री मोदी के कारण विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि कुंभ को भगदड़,गंदगी, अव्यवस्था और अराजकता के रूप में प्रस्तुत किया गया था लेकिन 2019 के प्रयागराज कुंभ के बारे में हमारे विरोधी भी नकारात्मक स्वर से नहीं बोल सके। कुंभ ने भारत की संस्कृति ,स्वच्छता, सुव्यवस्था और सुरक्षा का एक नया मानक प्रस्तुत किया। पूरी दुनिया और यूनेस्को को भी कहना पड़ा कि दुनिया की मानवता की अमूर्त धरोहर है कुंभ।
सीएम योगी ने कहा कि भारत की परम्परा पर कौन सा ऐसा देश है जो गौरव की अनुभूति न करता हो । इंडोनेशिया, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया ये सभी देश बहुत विश्वास के साथ उस परंपरा और संस्कृति के साथ जुड़े रहे हैं । रामायण और महाभारत की कहानियां हमें बहुत कुछ सिखाती हैं ।
विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने तो राम के अस्तित्व और अयोध्या पर ही सवाल उठाने का प्रयास किया था । उस समय भी, जब श्रीराम जन्म भूमि के लिए आंदोलन चल रहा था कई इतिहासकार थे जो सवाल खड़े करने का प्रयास कर रहे थे। बहुत सारे लोगों ने तो यह कह दिया कि ये वह अयोध्या ही नही, जहां राम पैदा हुए थे। यही विकृत मानसिकता भारत को अपने गौरव से सदैव वंचित करती रही है।
श्री योगी ने कहा कि जो चंद लोग भारत के खिलाफ वातावरण खड़ा करते हैं। उन्हें जूठन के रूप में चंद पैसे मिल जाते हैं, लेकिन दुनिया में इनकी कदर कुछ भी नहीं। लोग मानते हैं कि ये अपने देश में गद्दारी कर रहे हैं। ये लोग बिकाऊ हैं,ये चंद पैसों के लिए अपनी आत्मा बेच चुके होते हैं। आज एक नया प्रयास प्रारम्भ हुआ है।
अयोध्या शोध संस्थान की तारीफ करते हुए योगी ने कहा कि दो वर्ष पूर्व ही मेरे सामने यह प्रस्ताव रखा था। यह गौरव की बात है कि, भारत की सनातन हिंदू धर्म परंपरा में जो सात पवित्र नगरियां हैं उनमें से तीन अयोध्या,मथुरा और काशी उत्तर प्रदेश में हैं। सनातन हिन्दू धर्म की आत्मा यहां निवास करती है। हमारे लिए गौरव का विषय है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम से जुड़े हुए किसी ऐसे विश्वकोश के कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए किसी कार्यशाला का आयोजन हो और उस कार्यशाला के माध्यम से उसकी रूपरेखा तैयार कर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएं। आज ये बहुत सहज और सरल भी है ।
उन्होने कहा कि हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि दुनिया भर में होने वाली रामलीलाओं का मंचन अयोध्या में हो। मुझे खुशी है कि पिछले 4 वर्षों से यह शुरू हुआ है । बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के निर्देश पर संस्कृति विभाग की अगुआई में अयोध्या शोध संस्थान द्वारा तैयार रामायण विश्वमहाकोश के पहले संस्करण की ई बुक को भी लांच किया गया । रामायण विश्व महाकोश के पहले संस्करण का अग्रेजी भाषा में विमोचन किया गया। संस्कृति विभाग दुनिया के 205 देशों से रामायण की मूर्त व अमूर्त विरासत संजोकर रामायण विश्वमहाकोश परियोजना को साकार करने में जुटा है। विश्वमहाकोश के प्रथम संस्करण का डिजाइन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर ने तैयार किया है ।