लखनऊ। प्रदेश कारागार विभाग में सरकार की तबादला नीति का कोई मायने नही है। नीति मे भले ही के निर्देश दिए जाएं लेकिन इस विभाग में वही होता है जो उच्च अधिकारी चाहते है।
यही वजह है डीआईजी के एक चहेते बाबू ने अपनी एक तिहाई नौकरी एक ही जनपद के एक ही कार्यालय में बिता ली। अफसर मेहरबान रहे तो बाबू का रिटायरमेंट भी यही से हो जाएगा। डीआईजी को कमाकर देने वाला यह बाबू डीआईजी के वसूली एजेंट के नाम से चर्चित है।
जेल मुख्यालय में डीआईजी मुख्यालय का पद है। वर्तमान समय मे इस पद पर डीआईजी संजीव त्रिपाठी तैनात है। विभाग में अधिकारियों की कमी की वजह से इनके पास मुख्यालय डीआईजी के साथ एआईजी प्रशिक्षण संस्थान के अलावा लखनऊ व अयोध्या परिक्षेत्र की करीब दो दर्जन जेलो का भी प्रभार है। सूत्रों का कहना है कि जिम्म्मेदारियाँ बहुत है किंतु कार्य मुख्यालय में बैठकर ही निपटाया जाता है। यही वजह है मंडल की कई जेलो का पिछले काफी समय से निरीक्षण तक नही हुआ है।
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सूत्रों की माने तो इनके मातहत सेक्शन इंचार्ज बड़े बाबू ने तो हद ही कर रखी है। मामला बंदीरक्षकों के तबादलों को हो या या डयूटी लगाने का बगैर लेनदेन के काम ही नही होता। पिछले करीब तीन दशक से लखनऊ परिक्षेत्र कार्यालय में तैनात इस बाबू ने जो भी डीआईजी आया उसे इतना कमाकर दे दिया कि उन्होंने इसको छोड़ना है मुनासिब नही समझा। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान समय मे डीआईजी के पास दो रेंज है। इन रेंज के जेलो से वसूली का काम भी इसी बाबू के जिम्मे है। यह बाबू विभाग में वसूली एजेंट के नाम से चर्चित है।
सूत्र बताते है कि पिछले दिनों इस बड़े बाबू लखनऊ परिक्षेत्र जेल कार्यालय से जेल मुख्यालय में तबादला किया गया। जेल मुख्यालय मे तैनात होने के बाद भी वसूली के लिए चर्चित इस बाबू को डीआईजी ने लखनऊ परिक्षेत्र कार्यालय में लगा लिया।
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बीते एक साल के दौरान डीआईजी मुख्यालय, लखनऊ परिक्षेत्र व अयोध्या परिक्षेत्र से बंदीरक्षक के तबादलों व डयूटी लगाए जाने वाले मामलों की सघन जांच कर ली जाय तो गोलमाल व वसूली का सच सामने आ जायेगा। उधर आईजी जेल आनंद कुमार ने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी। दोषियों को बख्शा नही जाएगा।