उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि विपक्ष को योगी सरकार के काम नजर नहीं आ रहे हैं। कोई मुददा मिल नहीं रहा है तो उन्होंने दूसरे राज्यों से यूपी की तुलना शुरू की है जो बिलकुल हास्यास्पद है।
श्री सिंह ने विपक्ष की खिंचाई करते हुए रविवार को कहा कि सरकार की आलोचना करने वाले विपक्ष को कोविड प्रबंधन की सफलताओं पर ध्यान देना चाहिये। यूपी सरकार के प्रयासों ने कोरोना काल में महाराष्ट् और दिल्ली से बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होने कहा, “जो लोग बार-बार कोविड प्रबंधन के यूपी मॉडल की दक्षता पर सवाल उठाते हैं, उन्हें पहले इसकी सफलता पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि उत्तर प्रदेश ने कोविड के मामलों और मौतों पर अंकुश लगाने में दिल्ली और महाराष्ट्र समेत प्रमुख अन्य राज्यों को काफी पीछे छोड़ दिया है।” सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में कोविड के मामलों पर तेजी से नियंत्रित किया गया है। योगी आदित्यनाथ के बड़े फैसलों का व्यापक असर हुआ है।”
उन्होंने कहा “ इससे हास्यास्पद क्या होगा कि दिल्ली और महाराष्ट्र पूर्ण लॉकडाउन के बावजूद कोरोना को नियंत्रित नहीं कर सका और दिल्ली में प्रति दस लाख 313 और महाराष्ट्र में प्रति दस लाख 127 कोरोना मरीजों की मृत्यु हुई जबकि उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा सिर्फ 26 का है।”
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कैबिनेट मंत्री ने कहा कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं को सरकार की उपलब्धियां चुभ रही हैं। कोरोना की दूसरी लहर को नियंत्रित करने में योगी सरकार का कोविड प्रबंधन बहुत कारगर साबित हुआ। 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन आने वाले कोरोना संक्रमितों की संख्या में भारी गिरावट आई है। जबकि महाराष्ट्र में शनिवार को 14000 केस सामने आए थे और यूपी में रिकवरी रेट 97.1 प्रतिशत के साथ एक्टिव मरीजों की संख्या 1000 तक आ गई है। उन्होंने बताया कि यूपी में पांच करोड़ से अधिक लोगों के कोरोना टेस्ट कराए जा चुके हैं। जबकि दिल्ली में 2.2 करोड़ और महाराष्ट्र में 3.60 करोड़ टेस्ट आज तक किये गये हैं।
उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोरोना काल में जीवन और जीविका की मुहिम लगातार रंग ला रही है। उन्होंने विपक्ष के नेताओं को जवाब देते हुए कहा कि देश में उत्तर प्रदेश ही पहला राज्य है, जिसने सूबे में आंशिक कोरोना कर्फ्यू लागू किया जबकि अन्य प्रदेशों में पूर्णत: लॉकडाउन लगाया गया।
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आंशिक कोरोना कर्फ्यू के दौरान इंडस्ट्रीज खुली रखीं गईं, श्रमिकों को सहूलियत प्रदान की गई। जनता को भरपेट भोजन देने के साथ ही सरकार ने कोरोना काल में हर रोज औसतन 50 से 60 हजार लोगों को रोजगार देने का भी बड़ा काम किया। 60 हजार से अधिक निगरानी समितियां बनाकर गांव-गांव में कोरोना संक्रमण से ग्रामीणों को बचाना हो या फिर टीकाकरण का महाअभियान शुरू कर उनको सुरक्षा कवर देना हो। सरकार के दिन रात बिना रुके किये जा रहे लगातार कार्य से विपक्ष सहम गया है। यही कारण है कि उसके पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा है।