नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। आज नवरात्रि का पहला दिन है। प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना की जाएगी और फिर नौ दिनों तक देवी मां पूजा-पाठ, आरती, मंत्रोचार और व्रत रखकर उन्हें प्रसन्न किया जाएगा। नवरात्रि पर देवी मां को तरह-तरह की पूजा सामग्री और भोग चढ़ाया जाता हैं। दुर्गा माँ के पूजन-अर्चना में प्रयोग होने वाली प्रत्येक पूजा सामग्री का का महत्व होता है। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि में मां की पूजा में किन-किन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और किसी धार्मिक अनुष्ठान में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। बिना कलश स्थापना के कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं माना जाता है। हर वर्ष चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना की जाती है। शास्त्रों में कलश को सुख-समृद्धि,ऐश्वर्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। इसलिए नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा करते समय माता की प्रतिमा के सामने कलश की स्थापना करनी चाहिए।
नवरात्रि पर ज्वारे उगाए जाते हैं। घट स्थापना के ही दिन माता की चौकी के सामने ज्वार बोएं जाते हैं। मान्यता है नवरात्रि पर जौ बोना बहुत ही शुभ होता है। कलश के सामने मिट्टी के पात्र में जौ को बोया जाता है। नवरात्रि में जौ इसलिए बोया जाता है क्योंकि सृष्टि की शुरुआत में जौ ही सबसे पहली फसल थी। साथ ही ऐसी मान्यता है कि जौ उगने या न उगने को भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान के तौर पर देखा जाता है । अगर जौ तेज़ी से बढ़ते हैं तो घर में सुख-समृद्धि आती है। अगर ये बढ़ते नहीं और मुरझाए हुए रहते हैं तो भविष्य में किसी तरह के अनिष्ट का संकेत देते हैं।
नवरात्रि में माता के आगमन की खुशी में और उनका स्वागत करने के लिए प्रवेश द्वार पर आम या अशोक के पत्तों से बंदनवार सजाए जाते हैं। वैदिक काल से ही किसी भी शुभ कार्य या पूजा-अनुष्ठान के दौरान घर के मुख्य दरवाजे पर तोरण द्वार लगाने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवेश होता है और नकारात्मक शक्तियां घर से भाग जाती है।