नयी दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा कि अगर 10 लाख करोड़ रुपए के कर्जे माफ नहीं किए जाते, तो आज देश इस तरह घाटे की स्थिति में नहीं होता और दूध-दही पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।
श्री केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने बुधवार को एक वीडियो जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेवड़ी कल्चर वाले बयान पर बिना किसी का नाम लिए कहा कि यह कहा गया है कि अगर जनता को फ्री सुविधाएं दी जाएंगी, तो इससे देश को नुकसान होगा, इससे टैक्स देने वालों के साथ धोखा होगा। मुझे लगता है कि टैक्स देने वालों के साथ धोखा तब होता है, जब उनसे टैक्स लेकर और उस टैक्स के पैसे से अपने चंद दोस्तों के बैंकों के कर्जे माफ किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि टैक्स देने वाला सोचता है कि पैसा तो मुझसे लिया था और यह कह कर लिया था कि आपके लिए सुविधाएं बनाएंगे और मेरे पैसे से अपने दोस्तों के कर्जे माफ कर दिए। तब पूरे देश का टैक्स देने वाला व्यक्ति धोखा महसूस करता है। टैक्स देने वाला यह देखता है कि मेरे से तो टैक्स लिया, खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी लगा दिया। दूध, दही और छाछ पर जीएसटी लगा दिया और अपने बड़े-बड़े अमीर दोस्तों के टैक्स माफ कर दिए। टैक्स देने वालों के साथ धोखा इससे नहीं होता है कि हम उनके बच्चों को अच्छी और फ्री शिक्षा देते हैं, टैक्स देने वालों के साथ धोखा इससे नहीं होता है कि हम देश के लोगों का फ्री में अच्छा इलाज कराते हैं।
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उन्होंने (Arvind Kejriwal) कहा कि मैं समझता हूं कि अगर 10 लाख करोड़ रुपए के कर्जे माफ नहीं किए जाते, तो आज देश इस तरह घाटे की स्थिति में नहीं होता। हमें दूध-दही के उपर जीएसटी लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। देश के अंदर यह जनमत कराया जाए कि क्या सरकारी पैसा एक परिवार के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। एक पार्टी है, जो चाहती है कि सारा सरकारी पैसा एक परिवार के लिए इस्तेमाल हो।
जनता से पूछा जाए कि क्या सरकारी पैसा एक परिवार के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। दूसरी विचारधारा है कि क्या सरकारी पैसा चंद दोस्तों के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। वहीं, तीसरा मॉडल है कि क्या सरकारी पैसा इस देश के आम लोगों को अच्छी सुविधाएं, अच्छी शिक्षा, अच्छे अस्पताल और अच्छी सड़कें बनाने के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। यह जो एक माहौल बनाया जा रहा है कि जनता को फ्री की सुविधाएं देने से देश को नुकसान होगा, तो फिर सरकार का काम क्या है? अगर जनता जितना टैक्स देती है, उससे जनता को ही सुविधाएं नहीं देंगे और सारी सुविधाएं अपने दोस्तों को देंगे, तो फिर जनता के साथ धोखा ही होगा।