Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

जून में पड़ रही हैं ये 2 खास एकादशी, नोट करें पूजा विधि

Yogini Ekadashi

Yogini Ekadashi

हिंदू धर्म में एकादशी (Ekadashi)तिथि का व्रत बेहद शुभ माना जाता है. इस व्रत को करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं, साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है क्योंकि एकादशी तिथि जगत पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है.

हर माह में दो एकादशी (Ekadashi) पड़ती हैं, एक कृष्ण में और एक शुक्ल पक्ष में. एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ श्री हरि और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य से मनचाहा प्राप्त होता है. ज्येष्ठ माह शुरू हो चुका है और इस माह में 2 खास एकादशी (Ekadashi) पड़ने वाली हैं जिनका अपना अलग महत्व है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार जून माह में कब कौन सी एकादशी पड़ेगी, उसकी डेट और शुभ मुहूर्त क्या है.

जून 2024 में एकादशी (Ekadashi) कब-कब है?

ज्येष्ठ महीने की पहली एकादशी, अपरा एकादशी है जो कि 2 जून 2024 को पड़ रही है. यह व्रत अपार धन प्राप्ति का वरदान देता है.

वहीं, ज्येष्ठ माह की दूसरी एकादशी, निर्जला एकादशी है जो कि 21 जून 2024 को है. इस दिन निर्जल व्रत किया जाता है.

जून 2024 की एकादशी (Ekadashi) तिथि का पारण समय

1. अपरा एकादशी पारण समय- 3 जून 2024 को प्रात: 8 बजकर 05 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 10 मिनट के बीच इस व्रत का पारण किया जाएगा.

2. निर्जला एकादशी पारण समय- 19 जून 2024 को सुबह 5 बजकर 08 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 28 मिनट के बीच इस व्रत का पारण समय है.

भगवान विष्णु पूजा मंत्र (Lord Vishnu Puja Mantra)

मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः। मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।।

एकादशी (Ekadashi) 2024 पूजा विधि

– सुबह उठकर स्नान करें. फिर घर और मंदिर को अच्छी तरह साफ कर लें.
– पवित्रता के साथ भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें.
– फिर एक चौकी पर श्रीयंत्र के साथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें.
– भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाज मूर्ति के सामने देसी घी का दीपक जलाएं.
– भगवान विष्णु को तुलसी दल के साथ पीले फल और पंचामृत का भोग लगाएं.
– इसके बाद भगवान विष्णु के वैदिक मंत्रों का जाप करें और शाम के समय भी पूजा करें.
– शाम में एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें और अंत में आरती से पूजा समाप्त करें.
– एकादशी का व्रत करने वाले लोग फल और दूध से बने उत्पाद का सेवन कर सकते हैं, लेकिन निर्जला एकादशी व्रत में कुछ भी नहीं खाना-पीना चाहिए,
– अगर आप स्वास्थ्य कारण से निर्जला व्रत नहीं रख सकते हैं, तो आप सामान्य व्रत रख सकते हैं.
– एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दौरान ही करें.

Exit mobile version