दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में भारत पूरी दुनिया में पहले स्थान पर हैं। देश को इस मुकाम पर पहुंचाने में श्वेत क्रांति के जनक और भारत के मिल्क मैन डॉ वर्गीज कुरियन का काफी महत्वपूर्ण रोल है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर के 21 से 23 फीसदी दूध का उत्पादन भारत में होता है। राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (National Milk Day) के मौके पर आज यानी 26 नवंबर, 2022 को पशुपालकों (Cattle Herders) को राष्ट्रीय गोपाल रत्न के पुरस्कार दिए जाएंगे।
अर्थव्यवस्था में दुग्ध व्यवसाय का बड़ा हाथ
देश के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में दुग्ध उत्पादन का बड़ा हाथ है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार दुधारू पशुओं के पालन को बड़े स्तर पर प्रोत्साहित कर रहा है। बड़ी संख्या में किसानों गायों का पालन करें इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। गाय पालन से अच्छा मुनाफा कमाने वाले किसानों को राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार भी दिए जाते हैं।
बता दें कि 26 नवंबर, 2022 को किसानों को राष्ट्रीय गोपाल रत्न के पुरस्कार दिए जाएंगे। इसको लेकर अगस्त से अक्टूबर महीने के बीच पशुपालकों से आवेदन भी मांगे गए थे।
राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार के लिए ये किसान हैं योग्य
> इस पुरस्कार के लिए वही किसान योग्य हैं, जो गाय की 50 देसी नस्लों और भैंस की 18 देसी नस्लों में से किसी एक का पालन का पालन करता हों।
> कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन जिसने इस काम के लिए कम से कम 90 दिनों की ट्रेनिंग ली हो।
> दुग्ध उत्पादक कंपनी जो प्रतिदिन 100 लीटर दूध का उत्पादन करती है, और उनके साथ तकरीबन 50 किसान जुड़े हुए हों।
किसानों को मिलते हैं 5 लाख रुपये
किसानों को ये अवॉर्ड तीन समूहों (स्वदेशी मवेशी/भैंस की नस्लों को पालने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान, सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी) पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी/ दूग्ध उत्पादक कंपनी/ डेयरी किसान उत्पादक संगठन पुरस्कार) में दिया जाता है। प्रथम द्वितीय और तृतीय और तृतीय स्थान के लिए यह पुरस्कार मिलता है। थम पुरस्कार के तौर पर 5 लाख की धनराशि, वहीं, द्वितीय स्थान पाने वाले के लिए तीन लाख की धनराशि, तृतीय स्थान वालों को दो लाख की धनराशि प्रदान की जाती है।