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मंदिर में जाकर कभी नहीं करनी चाहिए ये गलतियां

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वास्तुशास्त्र में पूजा का स्थान

सभी अपने घर के मंदिर में तो पूजा करते ही हैं साथ ही लोग भगवान के दर्शन और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने मंदिर भी जाते हैं। मंदिर या किसी भी देवालय को बहुत पवित्र माना जाता है। मंदिर में जाकर व्यक्ति शांति का अनुभव करता है। सनातन धर्म में भगवान के दर्शन का बहुत महत्व माना जाता है, लेकिन मंदिर में जाकर हमें कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। कई बार हम मंदिर में जाकर जाने-अनजाने में कुछ गलतियां करते हैं। जिससे हमें मंदिर जाने का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए मंदिर या किसी भी देवस्थान पर जाते समय हमें कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।

अक्सर मंदिर में ज्यादा भीड़ होने पर लोग भगवान के दर्शन करने के लिए एक दूसरे के आगे जाकर खड़े हो जाते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। मंदिर में हमेशा भक्ति भाव के साथ ही जाना चाहिए। मंदिर भगवान के दर्शन और एक शांति प्राप्त करने का स्थान है। इसलिए वहां पर जाकर शांति पूर्वक आराम से पूजा करनी चाहिए।

जब मंदिर जाते हैं तो अक्सर लोग परिक्रमा भी करते हैं लेकिन कई बार जानकारी न होने की वजह से लोग गलत तरफ से परिक्रमा करते हैं। जो सही नहीं रहता है ज्योतिषाचार्यों के अनुसार  परिक्रमा हमेशा बाएं हाथ से शुरु करनी चाहिए और घूमकर दाएं हाथ की ओर परिक्रमा समाप्त करनी चाहिए। शिवलिंग की परिक्रमा करते समय ध्यान रहे कि जिस स्थान से जल बहता है उसे कभी नहीं लांघना चाहिए।

मंदिर जाते समय चमड़े की बेल्ट, पर्स या चमड़े से बना कोई भी सामान लेकर अंदर नहीं जाना चाहिए। इसके पीछे धार्मिक कारण यह है कि चमड़े को जानवरों की खाल से बनाया जाता है, जिसके कारण चमड़े को अशुद्ध माना जाता है। पूजा के स्थान या पूजा में किसी भी तरह से चमड़े की वस्तु वर्जित मानी गई है।

ऐसा माना जाता है कि मंदिर में कभी भी भगवान की मूर्ति के एकदम सामने खड़े नहीं होना चाहिए। मंदिर में लगी हुआ प्रतिमाएं विभिन्न मंत्रों से अभिमंत्रित होती हैं। साथ ही भगवान की प्रतिमा में से तेज ऊर्जा निकलती है। जिसे साधारण मनुष्य सहन नहीं कर सकता है।

मंदिर में जाकर लोग ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और समस्त चीजों को भूलकर केवल ईश्वर में ध्यान लगाते हैं, इसलिए मंदिर में कभी भी जोर-जोर से बोलना या हंसना नहीं चाहिए। इससे और लोगों की पूजा में बाधा उत्पन्न होती है और आपको भी मंदिर जाने का पूर्ण फल नहीं मिलता है।

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