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इन समस्याओं से पड़ता है रीप्रोडक्टिव हेल्थ पर बुरा असर

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नई दिल्ली| महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ उनका रीप्रोडक्टिव (प्रजनन) स्वास्थ्य (Reproductive Health) भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। आज अधिकतर महिलाएं इससे संबंधित किसी न किसी परेशानी से जूझ रही हैं। इसका कारण जीवनशैली में परिवर्तन और रीप्रोडक्टिव स्वास्थ्य (Reproductive Health) के विषय पर जागरूकता की कमी होना है। लेकिन, यदि इससे जुड़ी समस्याओं को समय पर पहचान लिया जाए, तो भविष्य में बहुत सी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।

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रीप्रोडक्टिव (Reproductive) और हॉर्मोनल स्वास्थ्य (Hormonal health) से जुड़ी इन कॉमन परेशानियों को जरूर जान लें..

  1. पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS)

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम या(PCOS) एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें महिलाओं को अनियमित पीरियड, सामान्य से कम ब्लीडिंग, मुंहासे, ओबेसिटी और शरीर पर ज्यादा बालों के उगने का अनुभव होता है। (PCOS) में महिलाओं के शरीर में सामान्य की तुलना में बहुत अधिक हार्मोन्स बनते हैं।

आज(PCOS)की बीमारी एक महामारी का रूप लेती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर 5 में से 1 महिला इस बीमारी से पीड़ित है।(PCOS)होने का कारण फास्ट फूड और एक्सर्साइज न करना है।

  1. यौन संचारित संक्रमण (STI)

स्वस्थ महिलाएं (STI)की चपेट में जल्दी आती हैं। इस प्रकार की बीमारियां सबसे ज्यादा उन्हें होती हैं, जो सेक्स के वक्त गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल नहीं करते। साथ ही मल्टीपल सेक्स पार्टनर और प्री-मेरिटल सेक्स भी इनके सबसे बड़े कारण होते हैं। इसलिए सेक्स एजुकेशन होना बहुत जरूरी है।

गर्भनिरोधकों की उपलब्धता न होना अनियोजित प्रेग्नेंसी का कारण है।

  1. अनियोजित और एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Antopic pregnancy)

सामाजिक दबाव होने के कारण हमारे घरों में प्रेग्नेंसी (pregnancy) के प्रति जागरूकता का अभाव है। इसके साथ ही, गर्भनिरोधकों की उपलब्धता न होना भी अनियोजित प्रेग्नेंसी (pregnancy) का कारण है। इससे युवा महिलाएं असुरक्षित अबॉरशन का सहारा लेती हैं, जिससे भविष्य में उन्हें कई तरह की तकलीफें झेलनी पड़ती हैं। इसके अलावा, ऐसे गलत अनुभव एक महिला के करियर और आगे जाकर मां बनने के अनुभव पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

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एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Antopic pregnancy) तब होती है, जब बच्चे का विकास गर्भ में न होकर उसके बाहर होता है। इसमें सबसे कॉमन फलोपियन ट्यूब में बच्चे का विकास होना है। कुछ सालों से ऐसे मामलों में बढ़त हो रही है।

  1. बांझपन (Infertility)

बांझपन (Infertility) होने का सबसे आम कारण अच्छे से ओव्यूलेशन न होना है। सरल भाषा में, महिलाएं ऐसी अवस्था में अंडे प्रड्यूस करने में सक्षम नहीं होतीं। इसका एक कारण(PCOS) भी होता है। यह समस्या 35 साल की उम्र के बाद ज्यादा होती है, क्योंकि तब तक ओवरीज में अंडों की संख्या घट जाती है। इसलिए प्रेग्नेंसी 35 की आयु के पहले प्लैन करना सही होता है।

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