पितृपक्ष (Pitru Paksha) को पूर्वजों (Ancestors) की स्मृति और आशीर्वाद प्राप्ति का विशेष समय माना गया है। मान्यता है कि इस दौरान पितर धरती पर उतरकर अपने वंशजों की स्थिति का अवलोकन करते हैं। कई बार वे अपने संदेश प्रत्यक्ष रूप से नहीं, बल्कि संकेतों के माध्यम से प्रकट करते हैं। धर्मशास्त्रों और विशेष रूप से गरुड़ पुराण में ऐसे लक्षणों का उल्लेख है, जो बताते हैं कि पितर संतुष्ट नहीं हैं और उन्हें तर्पण या श्राद्ध की आवश्यकता है। आइए जानें वे सात प्रमुख संकेत, जिन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए।
कौवों का लगातार आना और आवाज़ करना
हिंदू मान्यता में कौवे पितरों (Ancestors) के प्रतीक माने जाते हैं। यदि पितृपक्ष के दौरान आपके आंगन या छत पर बार-बार कौवे मंडराने लगें और तेज़ आवाज़ में कांव-कांव करने लगें, तो यह संकेत है कि पितर भोजन और जल तर्पण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
सपनों में पूर्वजों का दिखना
गरुड़ पुराण बताता है कि यदि आपको सपनों में बार-बार पूर्वज (Ancestors) नज़र आएं और वे भोजन या जल मांगें, तो यह स्पष्ट संकेत है कि उनकी आत्मा तृप्त नहीं है। ऐसे समय में तर्पण और श्राद्ध करना अनिवार्य माना जाता है।
अचानक धन का नुकसान
कभी-कभी परिवार में बिना कारण आर्थिक हानि या पैसों की तंगी शुरू हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार इसे पितरों (Ancestors) की अप्रसन्नता से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि असंतुष्ट पितर लक्ष्मी की कृपा को रोक देते हैं, जिससे घर में वित्तीय संकट आ सकता है।
परिवारजनों की लगातार बीमारी
यदि घर के सदस्य बार-बार बीमार पड़ें और उपचार के बावजूद लाभ न मिले, तो इसे भी पितरों की ओर से भेजा गया संकेत माना जाता है। असंतुष्ट पूर्वज अक्सर अपने वंशजों को इस प्रकार के कष्टों के जरिए याद दिलाते हैं कि उन्हें तर्पण की आवश्यकता है।
दीपक का अचानक बुझना
श्राद्ध या पूजा-पाठ के दौरान जलाया गया दीपक यदि बिना किसी कारण अपने आप बुझ जाए, तो यह ऊर्जा प्रवाह रुकने का प्रतीक माना जाता है। शास्त्र कहते हैं कि यह पितरों की नाराज़गी का प्रतीक हो सकता है। पूजा-पाठ में बाधाएं
यदि बार-बार पूजा करते समय सामग्री गुम हो जाए या किसी न किसी कारण से पूजा पूर्ण न हो पाए, तो यह भी पितरों का संकेत है। वे यह जताना चाहते हैं कि उनका श्राद्ध विधिवत संपन्न नहीं हुआ है।
तुलसी या पौधों का अचानक मुरझाना
घर के आंगन की तुलसी का अचानक सूखना या मंदिर में रखे फूलों का जल्दी मुरझा जाना भी पितरों (Ancestors) की अप्रसन्नता का संकेत माना जाता है। इसे हल्के में न लेकर तुरंत उपाय करना चाहिए।
क्या करना चाहिए इन संकेतों पर?
शास्त्रों के अनुसार, जब ये लक्षण दिखाई दें तो पितरों की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण ज़रूर करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराना, गौ-सेवा करना और जल तर्पण करना पितरों को प्रसन्न करता है। जब पूर्वज संतुष्ट होते हैं, तो घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।