न्यूज़ डेस्क। 70 वर्षों से अयोध्या में चल रहा मंदिर-मस्जिद विवाद का फैसला आज शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने कर ही दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला केवल दो पक्षों रामलला विराजमान और सुन्नी वक़्फ बोर्ड की दलीलों पर सुनाया हैं। इस फैसले में अयोध्या की पूरी विवादित जमीन को रामलला विराजमान को सौंपा गया हैं, तथा दूसरे पक्ष यानि सुन्नी वक़्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ अलग उपयुक्त जमीन दिया जाएगा।
बता दें जस्सिट रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 40 दिनों तक इस पर सुनवाई की थी। बता दें कि अयोध्या मामले का जिक्र करते हुये बॉलीवुड में कई फिल्में बनी हैं। तो आइए जानते हैं कि किस-किस फिल्म में अयोध्या मामले का जिक्र किया गया हैं….
बॉम्बे 1995
इस फिल्म का निर्देशन बाबरी मस्जिद की घटना पर हुआ हैं। मनिरत्नम इस फिल्म के डायरेक्टर थे। अरविंद स्वामी और मनीषा कोइराला इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थे।
इस फिल्म में उस समय को भी दिखाया गया था जब बाबरी मस्जिद को गिराया गया था और शहर में दंगे भड़क गए थे। फिल्म के लिए मणिरत्नम के निर्देशन की भी सराहना हुई थी।
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ब्लैक फ्राइडे, 2007
निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ्राइडे भी इस लिस्ट में शामिल है। इस फिल्म की खासियत यह है कि यह फिल्म केवल 70 दिनों में बनकर तैयार हुई थी। मगर इसे रिलीज होने के लिए तीन साल का इंतजार करना पड़ा।
यह फिल्म इतनी विवादास्पद थी कि सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म पर 2004 में बैन लगा दिया था। ब्लैक फ्राइडे में 1993 में मुंबई में हुए हमले को सिलेसिलेवार तरीके से दिखाने की कोशिश की है। ये बम ब्लास्ट्स बाबरी मस्जिद के ढहने के बाद ही हुए थे।
‘गेम ऑफ अयोध्या’
निर्देशक सुनील सिंह की फिल्म ‘गेम ऑफ अयोध्या’ लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पर आधारित है। ये फिल्म साल 2017 में रिलीज हुई थी।
फिल्म ने कई राजनीतिक चेहरों को कठघरे में खड़ा किया था। फिल्म में उस वक्त के नेताओं के भाषणों के वास्तविक फुटेज हैं। फिल्म में एक प्रेम कहानी है और कुछ हिंदू-मुस्लिम किरदार।
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सात खून माफ, 2011
सात खून माफ साल 2011 में रिलीज हुई एक साइकोलोजिकल थ्रिलर फिल्म थी। इसका निर्देशन विशाल भारद्वाज ने किया था। फिल्म में प्रियंका चोपड़ा ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
सुजाना (प्रियंका चोपड़ा) कश्मीर में वसीउल्लाह खान(इरफान खान) को सुनती हैं और वो कहता है- ‘कोई कहता है एक मस्जिद थी, कोई कहता है एक मंदिर था। मंदिर ये चुप है, मस्जिद है गुमसुम, इबादत थक पड़ेगी।’