लाइफ़स्टाइल डेस्क। शहर में कोरोना संक्रमण बेकाबू हो गया है। अब कोरोना वायरस के हमले के चंद घंटों के बाद ही मरीज का दम फूलने लग रहा है। कोरोना पॉजिटिव मरीज जब तक समझ पाता तब तक उसका ऑक्सीजन लेवल गिर जाता है और उसे कुछ घंटों के बाद ही ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर भी हैरान हैं। तीन दिन में 38 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की केस हिस्ट्री में सामने आया है कि उनका ऑक्सीजन लेबल कुछ घंटों में ही 90 फीसदी से नीचे चला गया।
हैलट के न्यूरो कोविड हॉस्पिटल में गंभीर और अति गंभीर कोरोना मरीजों की संख्या 90 पार कर गई है। इसमें 65 मरीज ऑक्सीजन पर हैं। जिस समय कोरोना मरीज भर्ती हुए तो उनका ऑक्सीजन लेवल यानी एसपीओ-2 80 से 90 फीसद रहा। दो मरीजों में यह लेवल 78 और 76 भी मिला जबकि उनके संक्रमण होने की जानकारी चंद घंटों पहले ही हुई थी। हालत बिगड़ी तो परिजन उन्हें हैलट लाए।
आते ही उन्हें ऑक्सीजन और फिर बाईपैप पर रखना पड़ा लेकिन इनमें से नौ कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत भी हो गई। कोरोना वायरस के खतरनाक होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सोमवार को कुलीबाजार का युवक (22) सुबह उर्सला अस्पताल में भर्ती हुआ। सीएमएस डॉ.शैलेन्द्र तिवारी के अनुसार उसे तत्काल ऑक्सीजन पर ले जाया गया क्योंकि उसका एसपीओ-2 70 फीसदी पर आ गया। दवाएं भी दीं गई लेकिन शाम को उसकी मौत हो गई जबकि वह फिट और युवा था।
ऑक्सीजन लेवल काफी नीचे गिरता मिल रहा-
मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य और एसआईसी प्रो.रिचा गिरि का मानना है कि अब आ रहे कोरोना मरीजों में ऑक्सीजन लेवल काफी नीचे गिरता मिल रहा है। उन्हें ऑक्सीजन की तत्काल जरूरत पड़ रही है। डॉक्टरों को तो संभलने का मौका तक नहीं मिल रहा है। गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन मिलने में देरी से उनकी सांस उखड़ने लग रही है। अभी तक लेवल-2 का कोरोना मरीज ऐसा नहीं मिला है जिसका एसपीओ-2 लेवल 94 से 100 के बीच रहा हो।