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माता के इन मंदिरों का निर्माण हुआ 15वीं शताब्दी में

Chaitra Navratri

Chaitra Navratri

लाइफस्टाइल डेस्क। मां के पावन पर्व नवरात्रि की शुरुआत 17 अक्तूबर से हो रही है। इस साल 17 अक्तूबर से 25 अक्तूबर तक शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाएगा। देश- दुनिया में मां के काफी मंदिर हैं, जहां भक्तों का हर समय तांता लगा रहता है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको भारत में स्थित उन मंदिरों के बारे में बताएंगे जिनका निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था। इन मंदिरों में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है।

नैना देवी मंदिर, उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है। माता का यह मंदिर मां के पावन शक्तिपीठ धामों में से एक है। नैनी देवी मंदिर, नैनीताल में नैनी झील के पास में स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था। कुछ समय बाद मां नैना देवी मंदिर भूस्खलन की वजह से नष्ट हो गया था और फिर सन् 1883 में स्थानीयों लोगों ने मिलकर मंदिर का निर्माण करवाया। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर माता सती के नेत्र गिरे थे।

अंबाजी मंदिर गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बनासकांठा जिले की दांता तालुका में गब्बर पहाडियों के ऊपर स्थित है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। मां का यह मंदिर पावन शक्तिपीठ धामों में से एक है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर माता सती का हृदय गिरा था। मां के इस पावन धाम में एक पवित्र ज्योति हमेशा प्रज्जवलित रहती है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का मुंडन संस्कार हुआ था। भगवान राम ने भी इस मंदिर में मां की उपासना की थी।

ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है। मां के इस पावन मंदिर को जोता वाली मां का मंदिर भी कहा जाता है। ज्वाला देवी मंदिर में नौ ज्योतियां हमेशा प्रज्जवलित रहती हैं। मां का यह मंदिर पावन शक्तिपीठ धामों में से एक है। मां के इस पावन धाम में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है।

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